इजरायली जनता का नेतन्याहू के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन
Protesters block Ayalon Highway during a demonstration following a parliament vote on a contested bill that limits Supreme Court powers to void some government decisions, in Tel Aviv, Israel

इजरायली जनता का अपने शासकों से उठा भरोसाः ईरान हमसे नहीं डरता

एक इजरायली समाचार पत्र ने ईरानी हमले के बाद इजरायली जनता के अपने अधिकारियों पर भरोसा न करने के बारे में लेख में कहा है कि हमें स्वीकार कर लेना चाहिए कि हम हार गए।

हिब्रू भाषा के अखबार हारेत्ज़ ने लिखा: “इज़रायल युद्ध हार गया”। इस अखबार के लेखक “हैम लेविंसन” का मानना है हार को स्वीकार करने में असमर्थता “हमें व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से इजरायलियों की मनोवैज्ञानिक स्थिति के बारे में सब कुछ बताती है।”

लेविंसन ने कहा कि सच्चाई स्पष्ट और बहुत पारदर्शी है, और निश्चित रूप से इसका अनुमान लगाया जा सकता है, इसलिए इसे नजरअंदाज करने के बजाय इसे स्वीकार किया जाना चाहिए और भविष्य के लिए इससे सबक सीखा जाना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा, “युद्ध में हार स्वीकार करना सुखद नहीं है… लेकिन इससे भी अधिक अप्रिय बात यह है कि अब हम इज़रायल के उत्तरी क्षेत्रों और सीमाओं पर शायद कभी भी लौटने में सक्षम नहीं हो पाएंगे।”

सेना के बारे में इजरायली जनता को झूठे विश्वास दिलाए गए

क्या इजरायली जनता इस हार से उभर पाएगी?

इजरायली जनता के अनुचित आशावाद की आलोचना करते हुए कि कल उतना ही अच्छा या बेहतर होगा, और अंत उनकी महान सफलता के साथ समाप्त होगा, लेविंसन ने कहा: “यह मानव विचार की विफलता का सार है,” कि अपको लगता है कि आप जो भी सोचते हैं, वही होगा।

यह सोचना कि जिस रास्ते पर हमने अपना कदम रखा है, वह अच्छाई की ओर जाता है… कि थोड़े से प्रयास से, हमारे कैदी अपने घरों को लौट जायेंगे, हमास आंदोलन आत्मसमर्पण कर देगा, और इस आंदोलन के नेता याह्या सनवर, मारे जाएंगेओ, क्योंकि हम दुनिया के सबसे अच्छे लोग हैं (उनका इशारा उन यहूदी धार्मिक विश्वासों पर हैं जिसमें कहा गया है कि इजरायली दुनिया के सबसे बेहतर और ईश्वर द्वारा चुनी गई कौम है) और बुराई पर अच्छाई की जीत होगी।”

यह लिखते हैं कि यह वही सोच है जो मानती है कि “ईरान जल्द ही नष्ट हो जाएगा।” उन्होंने कहा: इजरायलियों को “सच बोलना चाहिए, भले ही यह सच्चाई कष्टप्रद और हानिकारक हो, और भले ही कुछ लोग इसका विरोध करें और मनोबल को कमजोर करने वाली हो।”

इजरायली जनता को झूठे विश्वास दिलाए जानी की आलोचना करते हुए इस लेखक ने इजरायली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की प्रचार मशीनों का मुकाबला करने की मांग की और कहा: “क्या वास्तविकता को नजरअंदाज करने वालों को पागल, अस्थिर और कमजोर नहीं माना जाना चाहिए?” क्या उन लोगों को पागल नहीं समझा जाना चाहिए जिन्होंने कहा था कि इजरायल का खुफिया विभाग 7 अक्टूबर या फिर उसी जैसे हमले से निपटने में सक्षम है या फिर इस देश की सेना हर युद्ध चाहे वह फिलिस्तीनियों से हो या किसी और से जीतने में सक्षम है।

उन्होंने बताया: “राजनेताओं ने समस्याओं की जड़ तक पहुंचने और इज़रायल की खुफिया और सुरक्षा तंत्र के बारे में अतार्किक और झूठी खबरें फैलाने वालों के विरुद्ध कार्यवाही करने के बजाए सोते रहना पसंद किया और उन संस्थानों की दयनीय और खराब स्थिति को नजरअंदाज कर दिया।”

लेविंसन ने जोर देकर कहा, ”इन उपेक्षाओं ने अब मामले को उस मोड़ पर ला दिया है जहां अब नेतन्याहू के मंत्रिमंडल का कोई भी मंत्री न केवल इजरायली जनता में सुरक्षा की भावना बहाल कर सकता है, बल्कि हर दिन असुरक्षा की यह भावना और अधिक गहरी होती जा रही है। क्यों?” ” क्योंकि अब तक हमारे मुकाबला सिर्फ फिलिस्तीनियों से था, लेकिन अब ईरान भी हम पर हमला कर रहा है और ईरान के हमले का मतलब है कि सभी विकल्प मेज पर हैं।

इजरायल पर ईरान का हमला

ईरान का इजरायल पर हमला अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा झटका

वह इस बात पर जोर देते हैं कि इजरायल पर ईरान के हमले ने हमारी अंतरराष्ट्रीय स्थिति को बड़ा झटका दिया और पूरी दुनिया को दिखाया कि हमारे नेता कितने कमजोर हैं।

लेविंसन ने आगे कहा: “हम खुद को धोखा देने में कामयाब रहे हैं कि हम एक शक्तिशाली देश, एक बुद्धिमान राष्ट्र और एक मजबूत सेना हैं।”

लेखक के अनुसार, गाजा पट्टी के दक्षिण में राफा शहर पर आक्रमण, मीडिया द्वारा बार-बार दोहराए गए नवीनतम धोखे से ज्यादा कुछ नहीं है, जिसने हमारे अंदर यह स्थापित कर दिया है कि हम विजय से केवल कुछ ही कदम दूर हैं।

हम अभी तय भी नहीं कर पाए थे कि रफ़ा पर हमला करें या नहीं, तभी ईरानी मिसाइलें और ड्रोन आए और इज़रायल पर हमला कर दिया।

हालाँकि ईरानियों ने कहा इस हमले के बाद मामला समाप्त हो गया है और उनका इरादा हमले जारी रखने का नहीं है, लेकिन साथ ही उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि अगर इज़रायल जवाब देने का इरादा रखता है, तो उनकी प्रतिक्रिया पहले हमले से भी अधिक विनाशकारी होगी , ताकि इजरायल को हमले करने या न करने के फैसले में असमंजस में डाल दें।

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लेविंसन ने जोर देकर कहा: “इस हमले में ईरान से देश की हार से उनका तात्पर्य ईरान की मिसाइलों या ड्रोन की ताकत नहीं है बल्कि महत्वपूर्ण मुद्दा इजरायल के आंतरिक मोर्चे पर हमला करने में ईरान की सक्षमता और शक्ति है। दूसरे शब्दों में कहा जाए कि इस हमले के बाद बैरियर टूट गया है, और अब इजरायल के के आंतरिक मोर्चे पर ईरानी ड्रोन और मिसाइल हमले की आशंका बनी रहेगी। ऐसे हालात में अधिकारियों ने क्या प्लान तैयार किया है या वह क्या करेंगे?

उन्होंने कहा कि इज़रायली अधिकारियों की बातों से ऐसा प्रतीत होता है कि इज़रायल प्रतिक्रिया देने की जल्दी में नहीं है और वह प्रतिक्रिया के बारे में सावधानी से सोचेगा।

लेखक ने इजरायली जनता की चिंताओं को बताते हुए लिखा कि अधिकारियों के बयानों से हटकर हमें इस सच्चाई से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए कि ईरान मध्य पूर्व में इजरायल की सैन्य और हवाई श्रेष्ठता प्रत्यक्ष और बिना मध्यस्थता के पूरी तरह से समाप्त करना चाहता है। और यही वह मुद्दा है जो इज़रायली अधिकारियों को परेशान करता है कि वह उत्तर के बारे में अधिक सावधानी से सोचें।

हिब्रू भाषा के समाचार पत्र “येडियट अहरोनोत” ने इस संबंध में लिखा: “अनुमान के अनुसार, यह उम्मीद नहीं है कि ईरान के अभूतपूर्व हमले पर इज़राइल की प्रतिक्रिया में ईरान पर सीधी कार्यवाही का कोई कदम शामिल होगा, बल्कि इसका जवाब भी पहले की गई कार्यवाहियों जैसा होगा जिसमें गुप्त रूप से हमला और देश के परमाणु कार्यक्रम में खलल डालना शामिल होगा।

इस अखबार ने आगे कहा: इजराइल की समस्या हमले के स्वरूप और उस पर मिलने वाली प्रतिक्रिया में निहित है। पहले से ही यह भविष्यवाणी की गई थी कि ईरानी अमेरिकियों की अनदेखी करेंगे और इजरायल के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करेंगे। इसलिए अब इजरायल की बड़ी चुनौती यह है कि एक ऐसी प्रतिक्रिया के बारे में सोचना है जो तनाव और युद्ध को न बढ़ाते हुए ईरान को रोक सके ताकि वह इजरायल के खिलाफ अपनी क्षमताओं का उपयोग न कर सके।

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