लाल सागर और फारस की खाड़ी में मौजूद अमेरिकी युद्धपोत प्रतिरोधी समूहों के निश्चित लक्ष्य हैं। फैसला अमेरिका को करना है कि वह इजरायल के अपराधों का समर्थन करके युद्धपोतों और सैनिकों के विनाश का खतरा मोल लेता है या नहीं!
प्रतिरोध धुरी में बहुत जानकार और सूचित स्रोतों के हवाले से विश्वसनीय जानकारी इस बात पर जोर देती है कि न केवल क्षेत्र में अमेरिकी सेना के अवैध ठिकानों पर हमलों का विस्तार होगा, बल्कि क्षेत्र में अमेरिकी युद्धपोत और नौसैनिक जहाज भी इसके लिए निर्धारित लक्ष्यों में से हैं।
सूत्रों के अनुसार, अमेरिकी विदेश मंत्री की इराक यात्रा और इस देश के प्रधान मंत्री द्वारा ईरानी अधिकारियों को संदेश भेजने का एक मुख्य कारण इस मुद्दे से अवगत होना था।
न सूत्रों के अनुसार, अमेरिकी इस मुद्दे को लेकर बहुत डरे हुए हैं, और बाब अल-मंडब से गुजरते समय लाल सागर में आइजनहावर विमान वाहक के बेड़े को निशाना बनाने की यमनी धमकी ने साबित कर दिया कि अमेरिकी युद्धपोत और जहाजों को डुबोने का प्रतिरोध धुरी का निर्णय काफी गंभीर है और अमेरिकी लक्ष्यों के साथ साथ उनके नौसैनिक जहाज़ों को कभी भी निशाना बनाया जा सकता है।
हसन नसरल्लाह की अमेरिकी युद्धपोत को निशाना बनाने की धमकी
लेबनान हिजबुल्लाह के महासचिव ने शनिवार को अपने भाषण में लेबनान और इजरायल के तटों पर अमेरिकी युद्धपोत और जहाजों को निशाना बनाने के संबंध में जो धमकी दी थी, वह केवल एक कोरी धमकी नहीं थी, बल्कि पूरी जानकारी और सभी उपकरणों के प्रावधान के साथ दी गई धमकी थी।
अमेरिकी सूत्रों ने लेबनान में इस्लामी प्रतिरोध के हथियारों और प्रणालियों की आवाजाही और तैनाती का अवलोकन किया और देखा है कि प्रतिरोध ने लेबनान के विभिन्न क्षेत्रों में 300 किलोमीटर और उससे अधिक की रेंज वाली मिसाइलें तैनात की हैं। रूसी निर्मित यखोंट मिसाइल, कादिर, कादीर और कई अन्य लंबी दूरी की एंटी-शिप क्रूज मिसाइलें उन उपकरणों में से हैं जिन्हें अमेरिकी पक्ष ने देखा है।
साथ ही, यमनी सेना की नौसैनिक शक्ति इस क्षेत्र में अमेरिकी युद्धपोत और नौसैनिक बेड़े के लिए एक गंभीर खतरा है। यमनी सेना के पास उन्नत और लंबी दूरी की सतह से मार करने वाली मिसाइलें और सिस्टम हैं जो 2000 किलोमीटर दूर तक किसी भी लक्ष्य को नष्ट कर सकते हैं।
जहां हिजबुल्लाह भूमध्य सागर को कवर करता है, वहीं अंसारुल्लाह लाल सागर और अदन की खाड़ी को कवर करने के लिए जिम्मेदार है। इसके अलावा, इराकी प्रतिरोध समूहों द्वारा लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों का अनावरण उन्हें होर्मुज जलडमरूमध्य के पूर्व में फारस की खाड़ी में अमेरिकी युद्धपोत और सैन्य जहाजों को लक्षित करने में सक्षम बनाता है।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार अमेरिकी नौसैनिक शक्ति को इस हद तक टक्कर देने और उनके लिए खतरा पैदा करने की क्षमता एक अप्रतिस्पर्धी अमेरिकी नौसेना को किसी भी हस्तक्षेप और आक्रामक अभियान से वंचित करता है।
इजरायल की समर्थन या अपने सैनिकों की सुरक्षा, क्या होगी अमेरिकी का नीति?
इराक और सीरिया में अमेरिकी जमीनी ठिकानों पर हमला अमेरिकियों को पश्चिम एशिया से बाहर निकालने की प्रतिरोध की बड़ी रणनीति का हिस्सा है। ये हमले आने वाले दिनों में और अधिक तीव्र होंगे।
दूसरी तरफ़ अमेरिकियों के पता है कि क्षेत्र के देश प्रतिरोधी समूहों पर हमला करने के लिए अपनी धरती का उपयोग करने की अनुमति नहीं देंगे, ऐसी स्थिति में उनकी एकमात्र उम्मीद यही विमान वाहक युद्धपोत हैं, जिसे उन्होंने फारस की खाड़ी और पूर्वी भूमध्य सागर में तैनात किया है।
लेकिन अमेरिकी पक्ष की एक और बड़ी चिंता यह है कि अगर वह क्षेत्रीय स्तर पर ईरान के सहयोगियों के खिलाफ भारी हस्तक्षेप करना चाहता है, तो ईरान खुद मैदान में उतरेगा और फिर अमेरिका के लिए बड़ी चुनौतियां पैदा हो जाएंगी।
यदि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ईरान की ड्रोन शक्ति ने अमेरिकी वायु सेना को बड़ी चुनौती दी है, तो ईरान की मिसाइल और जहाज-रोधी शक्ति ने भी सभी अमेरिकी हवाई अड्डों और नौसैनिक बेड़े सहित अमेरिकी युद्धपोत को विनाश के खतरे में डाल दिया है।
हालाँकि अमेरिकियों ने कई वायुरक्षा प्रणालियों को भेजकर अपने ठिकानों पर किसी भी मीसाइल हमले को रोकने की कोशिश की है। साथ ही विमानवाहक युद्धपोतों के साथ रक्षा जहाज़ों को जोड़कर उनकी सुरक्षा करने का प्रयत्न किया है। लेकिन सच्चाई यह है कि खुद अमेरिकी भी जानते हैं कि अगर युद्ध व्यापक तरीके से शुरू हुआ, तो इस रक्षा प्रणाली से कुछ भी नतीजा नहीं निकलेगा और यह प्रणालियां खुद ही निशाना बन जायेंगे।
इसका सबसे बड़ा और सटीक उदाहरण कीव में अमेरिका की सबसे उन्नत रक्षा प्रणाली पैट्रियट पर हमला होना है। हाइपरसोनिक मिसाइलों के साथ-साथ एंटी-रडार मिसाइलें और ड्रोन जो ईरान ने वर्षों से इस उद्देश्य के लिए विकसित किए हैं, अमेरिका के लिए एक गंभीर खतरा हैं।
अंत में, यह उल्लेख किया जाना चाहिए कि गाजा में फिलिस्तीनी प्रतिरोध की जीत और इजरायल की हार के लिए प्रतिरोध धुरी का निर्णय गंभीर और अटल है।
कुछ लोग सोच सकते हैं कि प्रतिरोध से फ़िलिस्तीनियों को मदद नहीं मिलेगी, लेकिन अमेरिकी अधिकारियों की चेतावनियों और संदेशों और क्षेत्र में उनके सैन्य व्यवहार पर नज़र डालने से पता चलता है कि वे गंभीर दबाव में हैं और इजरायल का समर्थन करने और अपनी रक्षा करने के बीच भ्रमित हैं।
लाल सागर और फारस की खाड़ी में मौजूद अमेरिकी युद्धपोत प्रतिरोधी समूहों के निश्चित लक्ष्य हैं। फैसला अमेरिका को करना है कि वह इजरायल के अपराधों का समर्थन करके युद्धपोतों और सैनिकों के विनाश का खतरा मोल लेता है या नहीं!