भले ऐसे लगे कि इजरायल युद्ध में जीत रहा है, लेकिन युद्ध ने इजरायल की अर्थव्यवस्था को पंगू बना दिया है और शासन भयंकर मंदी और बढ़ते कर्ज के संकट में है।
अमेरिकी वेबसाइट “स्ट्रैटफ़ोर” गाजा युद्ध के बाद इजरायल की अर्थव्यवस्था और इस शासन की आर्थिक स्थिति के विश्लेषण में इस बात पर जोर दिया है कि भले ही देखने में ऐसा लगे कि इजरायल युद्ध जीत गया है, लेकिन इस शासन को इस युद्ध के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इजरायल की अर्थव्यवस्था भयंकर मंजी से जूझ रही है और इस शासन पर कर्ज के बोझ बढ़ता जा रहा है।
अमेरिकी वेबसाइट “स्ट्रैटफ़ोर” के अनुसार, हालाँकि इजरायल की अर्थव्यवस्था पर गाजा युद्ध का सीधा प्रभाव इस युद्ध की अवधि पर निर्भर करेगा।
लेकिन भविष्य के संभावित मुद्दे, जैसे इजरायल द्वारा गाजा पर लंबे समय तक कब्ज़ा और इस शासन के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और उनके मंत्रिमंडल द्वारा इस शासन में विवादास्पद न्यायिक सुधारों की प्रक्रिया को फिर से शुरू करना, इज़राइल की अर्थव्यवस्था को झटका देकर देश की आर्थिक वृद्धि को बाधित कर सकता है।
वेबसाइट ने उल्लेख किया कि 7 अक्टूबर को “ऑपरेशन अल-अक्सा स्टॉर्म” नाम के तहत कब्जे वाले क्षेत्रों पर हमास के हमले ने तेल अवीव को अपने 300,000 आरक्षित सैनिकों को ड्यूटी पर बुलाने के लिए मजबूर किया।
इसके अलावा, अल-अक्सा तूफान ऑपरेशन ने इज़राइल के पर्यटन क्षेत्र को पूरी तरह से बंद कर दिया है और कई वाणिज्यिक लेनदेन और परियोजनाओं को निलंबित और बंद कर दिया है।
इजरायल के वित्त मंत्रालय के अनुमान के अनुसार, युद्ध से इस शासन को प्रतिदिन 260 मिलियन डॉलर का नुकसान होता है। देश की मुद्रा की डॉलर के मुकाबले गिरती स्थिति को संभालने के लिए सेंट्रल बैंक ऑफ़ इज़राइल ने लगभग 45 बिलियन डॉलर या विदेशी मुद्रा भंडार का 20% बाज़ार में डाला है।
स्ट्रैटफ़ोर लिखता है: “हालांकि इस साल इजरायल की अर्थव्यवस्था में 3% की वृद्धि होने की उम्मीद थी लेकिन अल-अक्सा तूफान ऑपरेशन की शुरुआत के साथ इजरायली अर्थव्यवस्था में, हम निश्चित रूप से इस साल की चौथी तिमाही में आर्थिक वृद्धि में तेज गिरावट देखेंगे।”
इस वेबसाइट का मानना है: “यदि इजरायल के सैन्य अभियान इस साल के अंत में या अगले साल की शुरुआत में समाप्त हो जाते हैं और सैनिक अपनी नौकरी पर लौट आते हैं, तो हम इस देश की अर्थव्यवस्था को युद्ध-पूर्व आर्थिक विकास में वापसी देख सकते हैं, लेकिन यह भी तब होगा जब इजरायल के विदेशी विशेषकर अमेरिका का समर्थन प्राप्त रहे।
युद्ध के बाद से बीते चालीस दिनों के दौरान इजरायली सेना ने गाजा में विनाशकारी युद्ध जारी रखा है और इस दौरान 5 हजार 650 बच्चों और 3 हजार 700 महिलाओं सहित 14 हजार 320 फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं और 29 हजार 200 लोग घायल हैं जिनमें से 70% से अधिक बच्चे और महिलाएं हैं।
युद्ध की हालत यह है कि हमास ने 1,200 इजरायली सैनिकों को मार डाला है और 5,431 सैनिकों को घायल कर दिया है और उच्च पदस्थ सैनिकों सहित लगभग 242 ज़ायोनी सैनिकों को पकड़ लिया है, और इजरायली जेलों में बच्चों और महिलाओं सहित 7,000 से अधिक फ़िलिस्तीनी कैदियों के साथ उनकी अदला-बदली करना चाहता है।
कैबिनेट ऋण
स्ट्रैटफ़ोर के अनुसार, इजरायल ने गाजा युद्ध में तब प्रवेश किया है जब कैबिनेट का ऋण सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात 60% तक पहुँच गया है।
यह अमेरिकी वेबसाइट लिखती है:
“इस वर्ष की चौथी तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में तेज गिरावट के अलावा, युद्ध के कारण कैबिनेट खर्च में वृद्धि से इज़राइल के राजकोषीय घाटे में उल्लेखनीय वृद्धि होगी और आने वाले दिनों में कैबिनेट के ऋण में वृद्धि होगी।”
स्ट्रैटफ़ोर ने लिखाः
“लेकिन इजरायली सैन्य अभियानों की समाप्ति और इजारायल में सुरक्षा और सैन्य स्थिति युद्ध-पूर्व की स्थिति में लौटने के साथ, इन स्थितियों के बेहतर होने की उम्मीद है।”
वेबसाइट नोट करती है:
“संभवता वाशिंगटन इजरायल के शस्त्रागार को फिर से भरने और युद्ध के आर्थिक परिणामों को कम करने और इजरायल की अर्थव्यवस्था को बेहतर करने के लिए समर्थन कर सकता है। “
स्ट्रैटफ़ोर आगे लिखता है:
“अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने 14 अरब डॉलर या इज़राइल की जीडीपी के 2 से 3 प्रतिशत के बीच की सहायता को मंजूरी दी है, और अगर युद्ध लंबे समय तक जारी रहा, तो वाशिंगटन इज़रायल को अपनी सहायता बढ़ा देगा।”
स्ट्रैफ़ोर के अनुसार, “इज़राइल अपने ऋणों का भुगतान करने के लिए अपनी विदेशी वित्तीय स्थिति का उपयोग कर सकता है।”
इजरायल की अर्थव्यवस्था और सैन्य खर्चे
स्ट्रैटफ़ोर के अनुसार, यह कहानी का अंत नहीं है, बल्कि गाजा या क्षेत्र में युद्ध के लंबे समय तक चलने, इज़राइल को अमेरिकी सहायता की समाप्ति और न्यायपालिका के सुधारों के खिलाफ आंतरिक विरोध की बहाली जैसी संभावनाओं के साथ इज़राइल को दीर्घकालिक और व्यापक आर्थिक खतरों का सामना करना पड़ सकता है।
वेबसाइट लिखती है:
“भले ही गाजा में इजरायल का प्रमुख सैन्य अभियान समाप्त हो जाए और उसके अधिकांश रिजर्व सैनिक 2024 की शुरुआत तक ड्यूटी पर लौट आएं, लेकिन गाजा पर फिर से कब्जा करने के लिए इजरायल को बड़ी सैन्य लागत चुकानी होगी, क्योंकि जब तक इजरायल कोई समाधान नहीं खोज लेता, तब तक क्षेत्र में बड़ी संख्या में सैनिक तैनात रहेंगें। दरअसल, इजरायल के लिए गाजा पट्टी की तरफ़ से अस्ली समस्याएं हमास के बाद शुरू होती हैं।
स्ट्रैटफ़ोर ने आगे लिखा:
“यदि इज़रायल, फिलिस्तीनियों, हिजबुल्लाह और ईरान द्वारा समर्थित अन्य समूहों के बीच युद्ध जारी रहता है, तो इज़रायल को अपने कुछ सैनिकों को वेस्ट बैंक या लेबनान और सीरिया की सीमाओं पर तैनात करना होगा।”
और अगर ऐसा होता है तो और अधिक हमलों को रोकने और जवाब देने के लिए इज़राइल की वायु रक्षा और हथियार प्रणालियों की निरंतर तैनाती से इस शासन के सैन्य बजट पर दबाव बढ़ जाएगा।
साथ ही निरंतर लड़ाई निस्संदेह पर्यटन राजस्व को कम कर देगी और इज़रायल को विदेशी मुद्रा आय के एक प्रमुख स्रोत से वंचित कर देगी, खासकर अगर ईस्टर की छुट्टियों के दौरान जब इजरायल और विदेशी पर्यटक दुनिया भर से आते हैं अगर लड़ाई जारी रहती है तो यह इजरायल की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका होगा।
साथ ही यह भी संभावना है कि इजरायल की अर्थव्यवस्था से बुरे प्रभावों को हटाने और गाज़ा के विरुद्ध लंबे युद्ध के प्रभावों को सीमित करने क लिए अमेरिकी सहायता समय पर या उचित मात्रा में न मिल सके।
खासकर तब जब यह संभावना पाई जाती है कि अमेरिकी कांग्रेस को युद्ध के बाद इजरायल को तुरंत आर्थिक सहायता देने की आवश्यकता महसूस न हो, और अमेरिकी कांग्रेस इजरायल को सहायता करने के बजाए 2024 के चुनावों पर ध्यान केंद्रित करे।
स्ट्रैटफ़ोर ने लिखा:
“ऐसे संकेत हैं कि युद्ध ने इज़राइल को विवादास्पद न्यायिक सुधारों को आगे बढ़ाने से नहीं रोका है जो नेसेट को सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को पलटने की शक्ति देकर शासन की न्यायिक संरचना को बदल देगा।”
इसलि यह अमेरिकी वेबसाइट जोर देती है: “यदि यह स्थिति जारी रहती है, तो हमें इजरायल के अंदर विरोध प्रदर्शन फिर से शुरू होने की उम्मीद करनी चाहिए, जिसने 2023 के वसंत और गर्मियों के दौरान इस शासन को पंगु बना दिया था और यह इजरायल की अर्थव्यवस्था और इस शासन के लिए और अधिक आर्थिक जोखिम पैदा करेगा।”