इजरायल हमास युद्ध के बीच इस देश के एक प्रसिद्ध समाचार पत्र ने इस युद्ध में इजरायल सेना को लगने वाले तीन बड़े झटके का उल्लेख किया है।
इजराइल के हारेत्ज़ अखबार ने एक लेख में एक दिलचस्प बात का जिक्र किया है। इस अखबार ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि नेतन्याहू को अब गाजा पट्टी में फिलिस्तीनी सुरंगों से जुड़ी हकीकतों को लेकर गंभीर झटका लगा है। “वह अब अच्छी तरह से जानते हैं कि इजरायली खुफिया सेवाओं द्वारा उन्हें इन सुरंगों के बारे में जो बताया गया था वह केवल सतही धारणाएं और जानकारी थी, हमास सुरंगों की वास्तविकता इन शब्दों से अधिक जटिल है।”
समाचार पत्र ने अनुसार यह सच्चाई इजरायल सेना को लगने वाले तीन बड़े झटकों में से सबसे बड़ा झटका है।
जब गाजा पट्टी में इजरायली सेना और फिलिस्तीनी समूहों के बीच संघर्ष बढ़ रहा है, सैन्य और सुरक्षा विश्लेषक गाजा युद्ध समीकरण के रूप में वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाओं के बारे में अलग-अलग विचार प्रस्तुत कर रहे हैं। इज़रायली सेना ने घोषणा की है कि गाजा पट्टी पर हमले का एक मुख्य लक्ष्य हमास का विनाश है।
लेकिन गाजा पट्टी पर इजरायल के जमीनी हमले की शुरुआत के साथ ही यह पहले से कहीं अधिक स्पष्ट हो गया है कि इजरायल के लिए हमास को खत्म करने की राह आसान नहीं है और उसकी चुनौतियाँ असंख्य और बड़ी हैं। युद्धक्षेत्रों से प्राप्त समाचारों के अनुसार, फिलिस्तीनी समूहों द्वारा 130 से अधिक इजरायली टैंक और बख्तरबंद वाहन नष्ट कर दिए गए हैं, और आधिकारिक इजरायली सूत्रों की रिपोर्ट है कि लड़ाई के दौरान लगभग 370 इजरायली सैनिक मारे गए हैं।
बेशक, विभिन्न स्रोत इस बात की ओर इशारा करते हैं, इजरायली हताहतों की संख्या इन शब्दों से अधिक है, और इजरायली सेना, अपनी लंबे समय से चली आ रही सेंसरशिप नीति के कारण, इस संबंध में तथ्यों का उल्लेख करने से इनकार करती है। हालाँकि, युद्ध के बढ़ने और इजरायली सेना और फिलिस्तीनी समूहों के बीच जमीनी टकराव के बीच, इजरायल के लिए कम से कम 3 बड़ी सूचना और खुफियां विफलताएं सामने आई हैं, जिससे इजरायल की छवि और विश्वसनीयता को भी गंभीर नुकसान हुआ है। विश्लेषकों के अनुसार इनको इजरायल गाजा युद्ध में इजरायल सेना को लगने वाले तीन बड़े झटके के रूप में उल्लेख किया जा सकता है जो अपने आप में ऐतिहासिक है।
इजरायल सेना को लगने वाले तीन बड़े झटके
1: इजराइल की खुफिया एजेंसियों की निंदा में नेतन्याहू का ट्वीट
यह कोई रहस्य नहीं है कि अल-अक्सा तूफान ऑपरेशन और इज़राइल पर हमलों के कारण नेतन्याहू गंभीर दबाव में हैं। अब, कई इज़राइली लोगों का मानना है कि उनकी (नेतन्याहू की) हाल की राजनीतिक सक्रियता, जिसने इज़राइल में असंतोष और अराजकता की लहर पैदा कर दी है का मुख्या कारण 7 अक्टूबर का ऑपरेशन था। और उनका कहना है कि नेतन्याहू ने व्यावहारिक रूप से इज़राइल को सरातल के किनारे पहुँचा दिया है।
नेतन्याहू और उनकी सरकार के विरुद्ध होते प्रदर्शन, इजराइली बंदियों के रिहाई में निष्क्रियता और उनके जीवन के खतरे में डालना जैसे आरोप लगाए जाना, वह घटनाएं हैं जिसके इजराइल ने 7 अक्टूबर के ऑपरेशन के बाद देखी है। बेशक, नवीनतम सर्वेक्षणों के निष्कर्षों से यह भी संकेत मिलता है कि नेतन्याहू की लोकप्रियता में 18 प्रतिशत की अभूतपूर्व गिरावट आई है।
इसी बीच नेतन्याहू ने हाल ही देश की खुफिया एजेंसियों पर कटाक्ष करते हुए ट्वीट किया। इस ट्वीट में उन्होंने कहा कि इजरायल के किसी भी वरिष्ठ सैन्य और खुफिया अधिकारी, जैसे कि युद्ध मंत्री या सैन्य खुफिया संगठनों, शिन बेट या मोसाद के प्रमुखों ने, इजरायल पर हमला करने के हमास के इरादे का संकेत देने वाला कोई संकेत नहीं दिया, यहां तक कि वह हमास के मोर्चे पर इजराइल की स्थिति की स्थिरता की बात कर कह रहे थे।
इजरायल पीएम का यह ट्वीट देश के अंदर मौजूद अस्थिरता और अनिश्चिता की कहानी अपने आप कह रहा है, और यह इजरायल सेना को लगने वाले तीन बड़े झटके में एक है जो आने वाले समय में अपना बड़ा रूप दिखाएगा।
इस ट्वीट के जरिए नेतन्याहू ने इजराइलियों को चेतावनी देने की कोशिश की कि वह खुद खुफिया और सैन्य संस्थानों की अक्षमता का शिकार हैं। हालांकि, इस ट्वीट के सामने आने के बाद नेतन्याहू पर आलोचनाएं की बरसात हो गई जिसके बाद आखिरकार उन्हें इसे डिलीट करना पड़ा। ट्वीट हो डिलीट कर दिया गया लेकिन इसने दिखा दिया की इजरायल सेना की स्थिति हमास के सामने कितनी कमज़ोर है।
देश के सबसे ऊँचे पद पर बैठे नेता की यह स्वीकारोक्ति कि देश की खुफिया और सैन्य संस्थान हमास के अभियानों का सुराग नहीं पा सके हैं, दो संदेश देते हैं:
- हमास इजरायल की खुफिया एजेंसियों को सफलतापूर्वक धोखा देने में सफल रहा।
- इजरायल में राजनीतिक और सामाजिक दोफाड़ खुफिया एजेंसियों तक फैल गया है, जिसने इन एजेंसियों की अप्रभावीता को बढ़ाते हुए, उन्हें वरिष्ठ इजरायली अधिकारियों को गलत विश्लेषण प्रदान करने के लिए मजबूर किया है। यह वह समीकरण है जो इज़राइल के खुफिया तंत्र में गंभीर छिद्रों के बयान करता है।
खुफिया सेवाओं में यह दोफाड़ और निष्क्रियता और बढ़ती अक्षमता इजरायल सेना को लगने वाले तीन बड़े झटके में से है।
यही कारण है कि कई लोग पूछते हैं कि जब हमास महीनों से अल-अक्सा तूफान ऑपरेशन की योजना बना रहा था और तैयारी कर रहा था तो इजरायली खुफिया एजेंसियां कहां थीं? यह इजराइली खुफिया एजेंसियों के साथ साथ इस देश की सेना के लिए वह बड़ा झटका है जिसके दुष्परिणामों से तेल अवीव जल्द बाहर नहीं निकल पाएगा।
2: इज़राइल का हमास की भूमिगत सुरंगों को कम आंकना
हारेत्ज़ अखबार लिखता है: गाजा पट्टी में हमास की भूमिगत सुरंगों से जुड़ी हकीकतों को लेकर नेतन्याहू को अब गंभीर झटका लगा है। “वह अब अच्छी तरह से जानते हैं कि इजरायली खुफिया सेवाओं द्वारा उन्हें इन सुरंगों के बारे में जो बताया गया था वह केवल सतही धारणाएं और जानकारी थी, हमास सुरंगों की वास्तविकता इन शब्दों से अधिक जटिल है।”
हारेत्ज़ लिखता है कि हमास की भूमिगत सुरंगों के बारे में इज़राइल की जानकारी बहुत कम है और अब इज़राइल एक ऐसे क्षेत्र में प्रवेश कर चुका है जिसके बारे में उसे ठीक से जानकारी नहीं है। यह मामला इजराइल की खुफिया और सुरक्षा संस्थाओं के लिए किसी बड़ी गलती से कम नहीं है।
हमास के अल-अक्सा आपरेशन शुरू करने के बाद से सैन्य विश्लेषक इस देश की खुफिया एजेंसियों की नाकामी पर लगातार सवाल उठा रहे हैं और यह कहते आ रहे हैं कि वह मोसाद जिसको पूरी दुनिया के बेस्ट जासूसी एजेंसी माना जाता था, इतने बड़े आभियान का सुराग लगाने में कैसे नाकाम रही। यह इजरायल सेना को लगने वाले तीन बड़ी झटके में से सबसे प्रमुख है जिसने इस देश कि खुफिया एजेंसियों की कलई खोल दी है।
समाचार पत्र के अनुसार हमास की भूमिगत सुरंगों के बारे में खुफिया एजेंसियों ने जो बाते कहीं थी वह उनका बड़बोलापन था। बता दें कि गाजा पट्टी पर इजरायली सेना के जमीनी हमले को शुरू हुए कई दिन बीत चुके हैं, यह सेना अभी तक हमास की भूमिगत सुरंगों में घुसपैठ के प्रोजेक्ट को संचालित नहीं कर पाई है और हमास ने इन सुरंगों का इस्तेमाल करेक इजराइली सेना को भारी झटका दिया है।
3: हमास नेताओं की हत्या करने में इज़राइल की विफलता
गाजा युद्ध शुरू होने के बाद से इजरायल सेना को लगने वाले तीन बड़े झटके में एक इस देश की सेना की अक्षमता है। गाजा पट्टी में हमास के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख याह्या सनवार, हमास की सैन्य शाखा के कमांडर मोहम्मद ज़ैफ़ और हमास के प्रवक्ता अबू ओबैदाह गाजा पट्टी में इस आंदोलन के प्रमुख व्यक्तियों में से हैं, इजराइल जिनके खून का प्यासा है। गाजा पट्टी के खिलाफ इजराइल के युद्ध को एक महीने से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद यह शासन इन हमास नेताओं की हत्या करने में सफल नहीं हो पाया है।
इस मुद्दे ने इज़राइल की खुफिया और सुरक्षा संस्थानों में एक तरह की चिंता पैदा कर दी है। और इस विफलता ने हमास ने भी निश्चित रूप इस क्षेत्र में अपनी श्रेष्ठता दिखाने के लिए उकसाया है।
अब तक मिले सबूतों से पता चलता है कि गाजा पट्टी और फिलिस्तीनी समूहों के बारे में इजरायल की जानकारी वैसी नहीं है जैसी कि इस शासन के सैन्य और सुरक्षा तंत्र दिखावा कर रहे थे। इजराइल के सैन्य और खुफिया तंत्र की विफलता को देखते हैं आश्चर्य नहीं होगा अगर हम फिलिस्तीनी समूहों द्वारा इजराइली सेना और और चकित करने वाले अभियान देखें। यह इजरायल सेना को लगने वाले तीन बड़े झटके हैं जिसने निकट भविष्य में इजरायल उभरता हुआ दिखाई नहीं देता है।
यह तो भविष्य ही बताएगा कि इस युद्ध का अंत क्या होगा, लेकिन एक बात तो साफ है कि पूरी दुनिया ने देख लिया है कि बड़े बड़े दावों के बावजूद इजरायल कितना कमजोर है, और अगर अमेरिका व पश्चिमी देश उसके साथ न हों तो वह हमास जैसे एक छोटे से संगठन से भी लड़ने की शक्ति नहीं रखता है।