पिछले साल के अंतिम दिनों में चार संदिग्धों के निष्पादन के बाद 2023 में सऊदी अरब में मौत की सज़ा रिकार्ड स्तर पर पहुँचकर 170 हो गई है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, सऊदी अरब की सरकार ने 2023 में 170 लोगों को मौत की सज़ा दी है, जब कि 2022 में 147 लोगों को मौत की सज़ा सुनाई गई थी।
2023 में सऊदी अरब में मौत की सज़ा पर रिपोर्ट
सऊदी अरब की सरकारी न्यूज़ एजेंसी (WAS) ने बताया कि देश के अधिकारियों ने 2023 के अंतिम दिनों में उन चार सऊदी नागरिकों को फांसी की सज़ा दे दी है जिन्हें पहले मौत की सजा सुनाई गई थी।
चार पुरुषों के निष्पादन के साथ, सऊदी अरब में मौत की सज़ा का आंकड़ा बढ़कर 170 हो गया, जिसमें से 33 को आतंकवाद के मामलों में मौत की सजा सुनाई गई और दो सैनिकों को देशद्रोह के लिए फांसी दी गई है।
याद रहे कि 2023 में का दिसंबर महीना इस शासन के इतिहास का सबसे खूनी महीना था जब केवल इसी महीने में 33 लोगों को सऊदी अरब में मौत की सज़ा दी गई थी।
2022 में भी सऊदी अरब में मौत की सज़ा ने एक नया रिकार्ड छुआ था जब शाही शासन ने एक ही दिन में 81 लोगों को मौत की सजा सुनाते हुए साल भर में 147 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। एक ही दिन में इतनी बड़ी संख्या में लोगों को सऊदी अरब में मौत की सज़ा दिए जाने पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गंभीर प्रतिक्रिया हुई थी।
मानवाधिकार संगठनों की रिपोर्ट है कि सऊदी अरब ने पिछले दस वर्षों में 1300 लोगों को मार दिया है।
मौत की सज़ा देने में सऊदी अरब का है पहला नंबर
मौत की सज़ा दिए जाने वाले देशों में सऊदी अरब अब भी सबसे पहले नंबर पर बना हुआ है। इस देश में महिलाओं, पुरुषों और नाबालिगों तक को मौत की सज़ा दी जाती है।
मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि मौत की सज़ा पाने वालों में से अधिकतर को खुफिया अदालतों में बिना उचित कानूनी कार्यवाही के मौत की सज़ा दी जाती है।
जानकारों का कहना है कि सऊदी अरब में मौत की सज़ा पाने वालों में से अधिकतर को बिना इस्लामी या अंतररराष्ट्रीय नियमों का पालन किए मौत की सज़ा दी जाती है।
सऊदी सरकार हर साल आतंकवाद के खिलाफ़ लड़ाई के बहाने अभिव्यक्ति की आज़ादी को उल्लंघन करते हुए बड़ी संख्या में विरोधियों को मौत की सज़ा देती है।
सऊदी यूरोपीय संगठन फॉर ह्यूमन राइट्स ने घोषणा की है कि सऊदी अरब में मौत की सज़ा पिछले 10 वर्षों में रिकार्ड स्तर पर रही है। इस देश के शाही शासकों ने 2013 से 2023 तक लगभग 1300 लोगों को मौत की सज़ा दी है।
मौत की सज़ा पाने वाले 1300 लोगों में से 1100 लोगों को मलिक सलमान के बेटे बिन सलमान के शासन में दी गई है। याद रहे कि सलमान बिन अब्दुल अज़ीज़ 2015 की शुरुआत से सऊदी अरब के राजा हैं।
सऊदी अरब में मौत की सज़ा को विरोधियों को चुप कराए जाने के हथियार के तौर पर प्रयोग किया जाता है। इस देश में किसी भी कैदी की गिरफ्तारी के बाद से ही उसके विरुद्ध हिंसा और टार्चर आम बात है और वह मौत की सज़ा पर समाप्त होता है।
सऊदी यूरोपीय संगठन फॉर ह्यूमन राइट्स ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी कैदी से इकबालिया बयान लेने के लिए इन यातनाओं में पिटाई करना, बल का उपयोग करना, जबरन गायब करना, बिजली का शॉक देना, सोने न देना, नाखून खींचना, पैरों से लटकना और अन्य टार्चर का प्रयोग किया जाता है।
मौत की सजा पाने वाले कुछ लोग
इस संगठन की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार सऊदी अरब में मौत की सज़ा पाने वालों में कतीफ के एक युवा व्यक्ति मुस्तफा अल -डूरविश को जून 2021 में फांसी दी गई थी। मौत की सज़ा से पहले उनसे इकबालिया बयान पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर करने के लिए बेतहाशा टार्चर किया गया था।
इस संगठन की रिपोर्ट के अनुसार सऊदी अरब की जेलों में टार्चर के कारण कई लोग पूरे जीवन के लिए अपंग हो जाते हैं तो कई बेहोश और हमेशा का दर्द झेलने पर विवश होते हैं।
2023 में सऊदी अरब में मौत की सज़ा पर इस संगठन ने इस बात पर जोर दिया कि हिरासत की शुरुआत से मौत की सजा के सुनाए जाने बाद भी दुर्व्यवहार और हिंसा जारी रहती है।
जैसे कि सऊदी अरब के एक व्यापारी “अब्बासुल हसन” को सऊदी अरब में मौत की सज़ा दिए जाने से पहले एक एकांत सेल में केवल इसलिए लंबे समय तक अपने पैरों पर खड़ा रहना पड़ा क्योंकि उन्होंने पढ़ने के लिए अपने परिवार से एक ऐनक ली थी! अब्बासुल हसन को 2019 में मौत की सज़ा दे दी गई थी।
सऊदी अरब में मौत की सज़ा पाने वालों को ही केवल यातनाओं और टार्चर का सामना नहीं करना पड़ता है बल्कि इस देश के अधिकारी अभियुक्तों के परिवार वालों को भी परेशान करते हैं।
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कई बार मौत की सज़ा पाने वाले अभियुक्त को अंतिम समय में अपने परिवार वालों से मिलने नहीं दिया जाता है तो कई बार मौत की सज़ा दिए जाने के बाद उन्हें कहां दफ्नाया गया है परिवार वालों को यह तक नहीं बताया जाता है। यह सब परिवार वालों को परेशान करने का तरीक़ा है।
सऊदी यूरोपीय संगठन फॉर ह्यूमन राइट्स ने घोषणा की है कि सऊदी अरब ने 132 लोगों के शवों को उपने परिवारों को नहीं सौंपा है।
संगठन ने सऊदी अरब में मौत की सज़ा दिए जाने में पारदर्शिता की कमी और आंकड़ों का सामने न लाए जाने की तरफ़ इशारा करते हुए कहा है कि सऊदी अरब में मौत की सज़ा के आंकड़ों का सामने न लाया जाना मौत की सज़ा पाने वालों की वास्तविक संख्या सामने लाने में बाधा डालता है।
इस देश में उत्पीड़न की गंभीरता, मानवाधिकार रक्षकों की गिरफ्तारी, किसी भी नागरिक गतिविधि पर प्रतिबंध और परिवारों के धमकाए जाने के कारण अपराधियों की वास्तविक संख्या का पता लगाना लगभग असंभव है।
2023 में सऊदी अरब में मौत की सज़ा की एक रिपोर्ट में, सऊदी अधिकारियों ने नाबालिगों को निष्पादित किया, और उन लोगों के खिलाफ मौत की सजा का उपयोग किया, जिन्होंने नियोम परियोजना के निर्माण के लिए अपनी भूमि की जब्ती के खिलाफ विरोध किया।
सऊदी साम्राज्य ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, पुस्तकों या राजनीतिक दावों को प्रकाशित करने के आरोपों के लिए 2023 में कई लोगों को मौत की सजा सुनाई है।
बिना उचित ट्रायल के कई लोगों को सऊदी अरब में मौत की सज़ा दी गई।
सऊदी अरब में मौत की सज़ा नाबालिगों, कैदियों, प्रदर्शनकारियों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उपयोग करने वालों और शासन की आलोचना करने वालों को दी जाती है।
कई मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि मौत की सज़ा पाने वालों में से कई ऐसे होते हैं जिनका उचित ट्रायल तक नहीं होता है और उन्हें अपने बचाव का अवसर तक नहीं दिया जाता है जो कि सरासर अन्याय और कानून का उल्लंघन है।
सऊदी अरब में न्यायिक प्रणाली की अनुचित कार्रवाई, नागरिक समाज की किसी भी गतिविधि को रोकने के अलावा, गलत निष्पादन की निरंतरता को बढ़ाने में लगातार काम कर रही है।
मानवाधिकार संगठनों ने घोषणा की है कि सऊदी अरब में सऊदी अरब में मानवाधिकारों की स्थिति भयावह है। मुहम्मद बिन सलमान के इस देश में सत्ता संभालने के बाद से मानवाधिकार की स्थिति में और गिरावट दर्ज की गई है।
अंतर्राष्ट्रीय कानूनी एजेंसियों ने सऊदी अधिकारियों को अधिकारों और स्वतंत्रता के खिलाफ क्रूर उपायों के लिए दोषी ठहराया है और इस देश के लोगों के खिलाफ उत्पीड़न और आधारहीन आरोपों को खत्म करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
पिछले वर्षों विशेषकर 2023 में बिना अदालती कार्यवाही के सऊदी अरब में मौत की सज़ा दिए जाने, यातना, आधारहीन गिरफ्तारी, जबरन गायब किए जाने, राजनीतिक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी और सऊदी अरब के भीतर धार्मिक अल्पसंख्यकों के दमन की कई रिपोर्ट सामने आई हैं।
सऊदी मामलों के पर्यवेक्षकों का कहना है सऊदी अरब में मौत की सज़ा, हत्याओं, लोगों को गायब किए जाने, क्रूर गिरफ्तारी.. आदि में इस देश का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिकार्ड सबसे खराब रहा है।