गाजा युद्ध में लगातार मारे जाते बच्चों के बीच अपना मानवीय चेहरा दिखाने के लिए हिब्रू मीडिया ने एक कहानी गढ़ी लेकिन नैरेटिव की जंग में यह कहानी भी इजरायल को जीत न दिला सकी।
गाजा पर पिछले 20 दिनों में इजराइल ने जितनी बमबारी की है वह एक चौधाई परमाणु बम के बराबर है। इस बमबारी में अब तक 10000 के करीब लोगों की मौत हो चुकी है।
संकट शोधकर्ताओं के अनुसार, मनोवैज्ञानिक तनाव और चिंता की स्थितियों में, निर्णय लेने वाले गलत निर्णय ले लेते हैं जो बड़ी आपदाओं का कारण बनते हैं। अगर इजराइल यह गलती करता है और जमीन के रास्ते गाजा में प्रवेश करता है, तो गाजा की सुरंगें इजराइल के लिए नाकामी की एक और कहानी बन जाएंगी।
हिब्रू भाषा के समाचार पत्र “येदयोत अहरानोट” की वेबसाइट, जो इज़राइल में सबसे बड़ा प्रसारक समाचार पत्र है, जो इज़राइल में सबसे ज़्यादा देखी जाने वाली एजंसी है, ने उस समय जब गाजा पर इजराइल की भीषण बमबारी में रोज़ाना हज़ारों बच्चों की मौत हो रही है तब एक चिड़िया घर में एक साही के बच्चे को बचाए जाने की न्यूज़ चलाई।
इस अखबार ने तेल अवीव के उत्तर में एक चिडियाघर में एक साही के बच्चे को बचाए जाने के अभियान के बारे में पूरा एक कॉलम लिखा। अखबार अपने कॉलम में चिड़ियाघर के एक पशुचिकित्सक को यह कहते हुए उद्धृत किया: “जब हमने हेजहोग (साही का बच्चा) की जांच की, तो हम उसकी गर्दन के चारों ओर एक मोटी प्लास्टिक फंसी देखकर चौंक गए।”
नैरेटिव की जंग और इजराइल मीडिया
चोटों की गंभीरता के बावजूद, प्लास्टिक को सावधानीपूर्वक हटा दिया गया और हेजहोग के घाव को साफ करके मरहम लगा दिया गया। सौभाग्य से प्लास्टिक ने हेजहोग की गर्दन को नुकसान नहीं पहुंचाया और अब इस साही के बच्चे की देखभाल प्रयोगशाला में की जा रही है।
गाजा में युद्ध के बाद से 20 दिनों में इजराइली सेना ने इस क्षेत्र के लोगों पर हजारों बम गिराए हैं। इज़राइली सेना के प्रवक्ता “डैनियल हगारी” ने साफ़ कहा कि गाजा के खिलाफ इज़रायल के हवाई हमलों में हमारा उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों को हताहत करना है।
यूरोपीय-भूमध्यसागरीय ह्यूमन राइट्स वॉच ने युद्ध के आठवें दिन घोषणा की, “इजराइल ने गाजा के लोगों पर 6,000 टन से अधिक बम गिराए गए हैं, जो एक चौथाई परमाणु बम के बराबर है।”
फ़िलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय की ताज़ा जानकारी के अनुसार, इज़रायली हमलों में 3,000 बच्चों और 1,500 महिलाओं सहित 7,000 से अधिक फ़िलिस्तीनी मारे गए हैं। मरने वाले बुजुर्गों की संख्या भी 300 तक पहुंच गई है. इन हमलों में 20 हजार लोग घायल हुए थे। जबकि गाजा के सभी क्षेत्रों पर बमबारी जारी है। फिलिस्तीनी सूत्रों ने यह भी बताया है कि कम से कम 2,000 फिलिस्तीनी मलबे के नीचे दबे हुए हैं, जिनमें 900 बच्चे भी शामिल हैं। गाजा के स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि घायलों का इलाज करते समय उन्होंने दुश्मन द्वारा फॉस्फोरस बम और प्रतिबंधित हथियारों का इस्तेमाल होते देखा।
उनके अनुसार, घायलों के शरीर पर गंभीर जलन और त्वचा का पिघलना, जिससे घावों का इलाज करना लगभग असंभव हो जाता है, प्रतिबंधित हथियारों के इस्तेमाल के संकेत हैं। गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के एक प्रवक्ता का कहना है कि इज़राइल ने 57 चिकित्सा कर्मियों को मार डाला है और 100 को घायल कर दिया है। इसके अलावा 25 एंबुलेंस को नष्ट कर दिया गया। बमबारी और ईंधन ख़त्म होने के कारण 12 अस्पताल और 32 स्वास्थ्य केंद्र भी बंद हैं।
भारी बमबारी के बीच गाजा की स्थिति
“संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त” ने घोषणा की कि “गाजा में पानी, बिजली, दवा और भोजन की कमी के कारण स्थिति आपदा के कगार पर है” जबकि “येदयोत अहरानोट” की रिपोर्ट के अनुसार घायल हेजहोग (मुर्की का बच्चा) इस समय गहन देखभाल में है और दर्द को रोकने के लिए एंटीबायोटिक्स और तरल पदार्थ दिए जा रहे हैं। जबकि दूसरी तरफ़ गाजा पट्टी के अस्पतालों में वर्तमान में एनेस्थेटिक्स खत्म हो रहे हैं। बिना एनेस्थीसिया के सर्जरी की जा रही है, जिससे कुछ मामलों में मृत्यु हो जाती है।
गाजा युद्ध के बाद के 20 दिनों में, इज़राइल आम नागरिकोंष स्कूलों, अस्पतालों, पूजा स्थलों और निवासियों पर हमला करके न केवल जिनेवा कन्वेंशन के लगभग सभी सिद्धांतों और प्रावधानों का उल्लंघन किया है बल्कि मानवता को शर्मसार कर दिया।
एक साही के बच्चे के प्रति सहानुभूति रखना और उसकी गर्दन पर लगे घाव साफ करके मरहम लगाना श्चित रूप से एक मानवीय और नैतिक बात है, लेकिन इज़राइल की ओर से इस प्रकार की सहानुभूति के बेशर्म प्रदर्शन तब तो कतई स्वीकार नहीं है जब इस शासन ने केवल 20 दिनों में 2,000 से अधिक बच्चों की बेरहमी से हत्या कर दी हो।
गाजा में युद्ध के 20 दिन बीत चुके हैं, पिछले युद्धों के विपरीत, इज़राइल अपने मरने वालों की संख्या को छिपाने की कोशिश नहीं कर रहा है। ज़ायोनी शासन लगातार अपने मृतकों और घायलों की खबरें प्रकाशित कर रहा है जिससे दुनिया को दुख हो रहा है। और इसी बीच हमास को बदनाम करने और आम लोगों को अपने पक्ष में करने के लिए लगतार सर कलम किए जाने जाने जैसी खबरे भी प्रकाशित कर रहा है।
नैरेटिव की जंग की इस कहानी में, पश्चिम की मुख्य राजनीतिक और मीडिया धारा भी इज़राइल की सहायता कर रही है। लगभग सभी पश्चिमी नेता और उच्च पदस्थ अधिकारी इज़राइल के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए तेल अवीव गए हैं। मुख्यधारा का मीडिया भी प्रतीकों का निर्माण करके और दुनिया के दिमाग में हमास और फिलिस्तीनी समूहों को दूसरा आईएसआईएस बनाने की कोशिश करके नैरेटिव की जंगमें इज़राइल की कथा की सहायता के लिए आया है। लेकिन इस व्यापक प्रचार के बावजूद, गाजा में मौजूदा युद्ध में प्रचार सच्चाई की जगह नहीं ले सका और इजराइल को नैरेटिव की जंग में करारी हार का सामना करना पड़ा है।
इस विफलता के स्पष्ट संकेत अमेरिका से लेकर इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन और दुनिया के पूर्व और पश्चिम के कई देशों, पश्चिमी देशों की राजधानियों और बड़े शहरों में देखे जा सकते हैं। इस बीच, लाखों लोग फिलिस्तीनियों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए सड़कों पर उतरे और इजराइल की निंदा की। इनमें से कई देशों ने फ़िलिस्तीनियों के साथ एकजुटता दिखाने वाले प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगा दिया है। जर्मनी जैसे कुछ देशों ने प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगाने के अलावा, हेडस्कार्फ़ पहनने और फिलिस्तीनी प्रतीकों को ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। अमेरिकी “टाइम” पत्रिका ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा कि यूरोप में फ़िलिस्तीन की आज़ादी के वक्ताओं का खुलेआम दमन किया जा रहा है।
जैसा कि कहा गया है, इन दबावों और दमन के बावजूद नैरेटिक के युद्ध में इजराइल की जीत न हो सकी और इजराइल की झूठी कहानियां सच्चाई का स्थान नहीं ले सकीं। नैरेटिव की जंग में इजराइल का हाथ इतना खाली है कि उसे अपने हाई-सर्कुलेशन अखबार की वेबसाइट पर एक मानवीय चेहरा दिखाने के लिए पशु बचाव अभियान का विज्ञापन देना पड़ा।
कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक इजराइल गाजा पट्टी पर जमीनी हमले की तैयारी कर रहा है। शोधकर्ताओं के अनुसार, मनोवैज्ञानिक तनाव और समय की कमी की स्थितियों में, निर्णय लेने वाले आमतौर पर गलत निर्णय ले लेते हैं, जिससे बड़ी आपदाएँ होती हैं। यदि इजराइल यह गलती करता है और जमीन के रास्ते गाजा में प्रवेश करता है, तो 500 किलोमीटर लंबी गाजा सुरंगें, जिन्हें इजराइल “गाजा मेट्रो” कहता है, इजराइल के लिए विफलता का एक और उदाहरण होगी।