बिन सलमान के ऋण बजट घाटे और मंदी का सामना कर रही सऊदी अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ रहे हैं। लेकिन इस देश के क्राउन प्रिंस कर्ज़ा लेकर अपना असफल विदेशी निवेश जारी रखे हैं हुए हैं।
बिन सलमान के ऋण के कारण सऊदी अरब का कर्ज़ा अब तक दसियों अरब डॉलर तक पहुंच चुका है।
इस देश के क्राउन प्रिंस की योजना के अनुसार बिन सलमान के ऋण में 2024 में और बढ़ेंगे और इस देश की आवश्यकताओं के पूरा करने के लिए 2024 में 22.9 बिलियन डॉलर उधार लेना होगा।
बिन सलमान के ऋण की रिपोर्ट और कर्ज़ तले दबी जनता
सऊदी सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक बिन सलमान के ऋण के कारण 2024 के अंत तक सऊदी अरब का कर्ज 1.115 बिलियन रियाल तक पहुंचने की उम्मीद है।
सऊदी अरब ने दिसंबर की शुरुआत में अपने 2024 के बजट को मंजूरी दे दी और उसे 79 बिलियन रियाल (21.07 बिलियन डॉलर) के बजट घाटे का सामना करने की उम्मीद है।
सऊदी वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, ऐसा तब है जब सऊदी बजट घाटा 2023 में 82 बिलियन सऊदी रियाल (लगभग 21.8 बिलियन डॉलर) तक पहुंचने की उम्मीद है।
विज़न 2030 ने सऊदी अरब की कमर तोड़ी
विज़न 2030 की घोषणा जिसमें अर्थव्यवस्था, आर्थिक आय का विविधीकरण, आर्थिक वृद्धि और विकास रोज़गार सृजन जैसे बड़े बड़े दावे किए थे को पूरा करने के लिए बिन सलमान के ऋण में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। हालांकि कर्ज़े लेने के बाद भी इन कार्यों में कोई प्रगति दिखाई नहीं दे रही है। विजन 2023 की घोषणा के 7 साल बीत जाने के बाद आई रिपोर्ट बिन सलमान के दावों के विपरीत कहानी कहती है।
सऊदी वित्त मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट में देश का घाटा 82 अरब रियाल, आय 1.193 अरब रियाल और खर्च 1.275 अरब रियाल बताया गया है।
बिन सलमान के ऋण में सऊदी अरब का सरकारी कर्ज़ा भी 1.024 बिलियन रियाल तक पहुंच गया है जो अपने आप में एक रिकार्ड है, जबकि कहा गया था कि इस साल का बजट सरप्लस में होगा, जबकि उसे घाटे का सामने करना पड़ा है।
सभी सरकारी अनुमानों ने 2023 में 9 बिलियन रियाल और 16 बिलियन रियाल के बीच बजट अधिशेष का संकेत दिया, लेकिन न केवल यह बजट अधिशेष पूरा नहीं हुआ, बल्कि सऊदी सरकार को बजट घाटे का सामना करना पड़ा जो 2024 तक जारी रहेगा।
बिन सलमान की सत्ता और सऊदी अर्थव्यवस्था का पतन
जब से मोहम्मद बिन सलमान ने क्राउन प्रिंस के रूप में सत्ता संभाली और विजन 2030 की घोषणा की, तब से बजट घाटा सऊदी अर्थव्यवस्था के स्तंभों में से एक बन गया है।
क्योंकि 2022 को छोड़कर, जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के कारण तेल की कीमतें बढ़ीं, सऊदी अरब को 2016 से 2021 तक लगातार 6 वर्षों तक बजट घाटे का सामना करना पड़ा।
अगर हम थोड़ा पीछे देखें तो पाएंगे कि सऊदी अरब को 15 सालों में यानी 2000 से 2014 तक सिर्फ 4 बार 2001, 2002, 2009 और 2014 में बजट घाटे का सामना करना पड़ा है।
जबकि सऊदी अरब को किंग सलमान और उनके बेटे के 9 साल के शासनकाल के दौरान 8 बार बजट घाटे का सामना करना पड़ा है और यह सऊदी अरब के इतिहास में एक खतरनाक संकेतक है।
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मोहम्मद बिन सलमान के विज़न 2030 की घोषणा के साथ कहा गया था कि सऊदी अर्थव्यवस्था को तेल राजस्व पर निर्भरता से मुक्त किया जाएगा और यह आय के स्रोतों में विविधता लाएगा।
बिन सलमान के इस विजन को देखते हुए एस देश के वित्त मंत्रालय ने इन आय के स्रोतों को निर्दिष्ट किए बिना, देश की गैर-तेल आय पर झूठे आंकड़े और रिपोर्ट प्रकाशित कीं।
तथ्य बताते हैं कि इस राजस्व का स्रोत गैर-तेल निर्यात नहीं बल्कि कर थे, जो बिन सलमान के 8 साल के शासन के दौरान 13 गुना बढ़ गए। जबकि 2015 में सऊदी सरकार का करों से राजस्व केवल 2.7 प्रतिशत था, 2023 की पहली छमाही में ये राजस्व बढ़कर सऊदी सरकार के राजस्व का 35.4 प्रतिशत हो गया।
8 साल में 13 गुना बढ़ा टैक्स फिर भी बिन सलमान के ऋण ने गर्त में पहुँचाया
सऊदी अरब ने 2023 में करों में आश्चर्यजनक वृद्धि देखी गई, कुछ मामलों में तो यह 82 प्रतिशत तक बढ़ा, जबकि गैर-तेल राजस्व में केवल 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
उदाहरण के लिए, चालू वर्ष के 9 महीनों में कर राशि 277.9 बिलियन रियाल थी, जो राजस्व का केवल एक तिहाई है, जबकि 2022 की समान अवधि में यह आंकड़ा 226.8 बिलियन रियाल था।
कर की दर में वृद्धि का मतलब आर्थिक विकास नहीं बल्कि नागरिकों के कंधों पर एक नया बोझ डालना है।
दूसरी ओर, आय के स्रोतों में विविधता लाने और विदेशी कंपनियों को निवेश के लिए आकर्षित करने के अपने वादों को पूरा करने में सऊदी सरकार की विफलता के कारण इस देश को अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को आकर्षित करने के लिए 30 वर्षों के लिए नई कर छूट दी पेशकश देने की तरफ़ खींचा है।
विज़न 2030 परियोजनाओं की बढ़ती लागत को कवर करने के लिए तेल, करों और बिन सलमान के ऋण वृद्धि पर निरंतर निर्भरता ने सऊदी अरब को अर्थव्यवस्था पर दबाव को रोकने के लिए पहली बार कुछ परियोजनाओं में देरी करने के लिए मजबूर किया है। विशेष रूप से वार्षिक वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत तक गिरने के बाद इस प्रकार के कदम उठाए गए हैं।
विज़न 2023 से सरकारी कर्ज़ में असामान्य वृद्धि
विजन 2030 के लॉन्च के बाद से बिन सलमान के ऋण बढ़ने के कारण सऊदी अरब का कर्ज नाटकीय रूप से बढ़ गया है। 2015 के अंत में सऊदी अरब का ऋण अनुपात 142.2 बिलियन रियाल तक पहुंचने और सकल घरेलू उत्पाद का केवल 5.8 प्रतिशत होने के बाद, ये ऋण 2023 में पहली बार एक बिलियन रियाल से अधिक हो गए और 1.024 बिलियन रियाल तक पहुंच गए, जो कि 24 प्रतिशत है।
जबकि सऊदी अरब में कई परियोजनाएं रुकी हुई हैं और अधूरी छोड़ दी गई हैं, देश की अर्थव्यवस्था अभी भी गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है, जिसमें अत्यधिक सरकारी खर्च, खर्च में पारदर्शिता की कमी, खेल में बड़े निवेश शामिल हैं। इसमें काम और गैर-अर्जित मनोरंजक गतिविधियां शामिल हैं।
इस बीच, कर दरों में बढ़ोतरी से लेकर बढ़ती मुद्रास्फीति, नौकरी के अवसरों की कमी और जीवन-यापन के खर्चों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त वेतन तक, केवल सऊदी नागरिक ही इन नीतियों से पीड़ित हैं।