स्टारबक्स से लेकर मैकडॉनल्ड्स तक, बहिष्कार प्रतिरोध का सबसे प्रभावी हथियार

स्टारबक्स से लेकर मैकडॉनल्ड्स तक, बहिष्कार प्रतिरोध का सबसे प्रभावी हथियार

गाजा पर इजरायली हमले के बाद से ही इजरायली उत्पादो के बहिष्कार की मुहिम चल रही है, जिसका स्टारबक्स और मैकडॉनल्ड्स जैसी कंपनियों को खामियाजा भुगतना पड़ा है।

पिछले साल अक्टूबर में गाजा पट्टी पर इज़रायल के आक्रमण की शुरुआत के बाद से, इज़रायल समर्थक कंपनियों के बहिष्कार की मांग बढ़ गई है। जैसे-जैसे इज़रायली हिंसा बढ़ी और पीड़ितों की संख्या में वृद्धि हुई, इज़रायल समर्थक कंपनियों के बहिष्कार का आंदोलन तेजी से फैलने लगा। यह आंदोलन न केवल मध्य पूर्व में, बल्कि यह पूरी दुनिया में फैल गया। फ़िलिस्तीनी मुद्दे के बारे में जागरूकता में वृद्धि और इज़रायल के अपराधों को छिपाने में पश्चिम के दोहरे मानकों पर लोगों के गुस्से में वृद्धि ने इस मुद्दे का दुनिया भर के लोगों द्वारा अभूतपूर्व तरीके से स्वागत किया।

बहिष्कार का विचार किसी कंपनी, कारखाने या किसी विशेष देश के उत्पादों और उत्पादनों को खरीदने से इनकार करने पर आधारित है, जिसका उद्देश्य सामूहिक कार्रवाई के माध्यम से उस कंपनी, कारखाने या देश की राजनीतिक या सामाजिक प्रथाओं में बदलाव लाना है। बहिष्कार का अभियान उन देशों और स्थानों पर खास तौर से प्रभावी होता है जहां के लोग अमीर होते हैं और उनकी क्रय शक्ति ज्यादा होती है।

ऐसे क्षेत्रों में किसी कंपनी के किसी उत्पाद का बहिष्कार करने से संबंधित कंपनियों के लिए महत्वपूर्ण वित्तीय परिणाम हो सकते हैं। जिन कंपनियों का जितना बड़ा व्यापार होता है उसी की तुलना में वे दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिबंधों के प्रभाव के प्रति उतनी ही अधिक असुरक्षित हैं।

बहिष्कार का प्रभाव और शक्ति केवल बिक्री पर इसके प्रभाव तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इसका कंपनी की प्रतिष्ठा और ब्रांड पर प्रभाव पड़ता है।

केलॉग यूनिवर्सिटी के ब्रैडेन किंग के शोध के नतीजों से पता चला कि जिन कंपनियों की लोकप्रियता में कमी देखी गई, उन्हें उन कंपनियों की तुलना में अधिक नुकसान हुआ, जिनकी बिक्री में कमी देखी गई। और जितना अधिक मीडिया का ध्यान बहिष्कार पर दिया गया, उतना ही अधिक इसका असर होगा।

किंग के अध्ययन से पता चलता है कि कंपनियों की प्रतिष्ठा या सार्वजनिक छवि पर बहिष्कार का प्रभाव उन कंपनियों की बिक्री में कमी से कहीं अधिक है। और बहिष्कार आंदोलन यही हासिल करना चाहता है। यह एक ऐसा मामला है जो इन कंपनियों के प्रबंधकों को बहुत चिंतित करता है।

बहिष्कार आंदोलन के कारण मैकडॉनल्ड्स को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है.

मैकडॉनल्ड्स जैसी कंपनियों पर बहिष्कार अभियानों का प्रभाव

कैनसस विश्वविद्यालय द्वारा 1991 में इंग्लैंड में किए गए एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि कॉर्पोरेट अधिकारी बॉयकॉट अभियानों को कंपनियों पर दबाव डाने का उनके विरुद्ध लॉबीइंग से अधिक प्रभावी मानते हैं।

1960 के दशक में कैलिफोर्निया के अंगूर उत्पादकों के खिलाफ बहिष्कार आंदोलन का नेतृत्व करने वाले सीजर चावेज़ के अनुसार, एक बहिष्कार को ठोस प्रभाव डालने के लिए लगभग 5 प्रतिशत उपभोक्ताओं को एक संगठित बहिष्कार में शामिल होने के लिए राजी करना होगा। और अब अगर यह आंदोलन 10 प्रतिशत उपभोक्ताओं तक पहुंचता है को कहना होगा कि इसके प्रभाव विनाशकारी होंगे।

लेकिन किंग का अध्ययन इस बात पर जोर देता है कि बहिष्कार के लिए हमेशा बिक्री पर इस प्रभाव को प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं होती है, कभी-कभी किसी कंपनी की व्यावसायिक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने का खतरा बहिष्कार के सफल होने के लिए पर्याप्त होता है।

किसी प्रतिबंध को निरंतर और दीर्घकालिक बनाए रखने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए, प्रतिबंधित वस्तुओं के करीब या उससे कम गुणवत्ता और कीमतों के साथ उपयुक्त विकल्प प्रदान किए जाने चाहिए। आयातित वस्तुओं के बहिष्कार के अभियानों में उपभोक्ता अक्सर घरेलू विकल्पों की ओर रुख करते हैं। इन मामलों में, वांछित राजनीतिक और सामाजिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के अलावा, प्रतिबंधों का घरेलू और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

पूमा को इजरायल का समर्थन करने के कारण बहिष्कार किया गया

मैकडॉनल्ड्स से प्यूमा तक

बड़ी कंपनियों और आर्थिक उद्यमों पर लोकप्रिय बहिष्कार का प्रभाव बहुत जल्द ही सामने आ गया, और सबसे स्पष्ट उदाहरणों में से एक कॉफी शॉप के लिए प्रसिद्ध स्टारबक्स श्रृंखला को हुआ नुकसान है। प्रेस सूत्रों के अनुसार, पिछले दिसंबर के पहले सप्ताह में, बहिष्कार के कारण स्टारबक्स को लगभग ग्यारह अरब डॉलर या कंपनी के कुल बाजार मूल्य का लगभग 10% का नुकसान हुआ। इस मुद्दे के कारण शेयर बाजार में इस कंपनी के शेयरों के मूल्य में कमी आई, जो 1992 के बाद से इसके लिए सबसे बड़ा झटका माना जाता है।

स्टारबक्स का बहिष्कार तब हुआ जब कंपनी ने सोशल मीडिया पर “फिलिस्तीन के साथ एकजुटता” पोस्ट करने के लिए स्टारबक्स श्रृंखला में श्रमिकों को संगठित करने वाली यूनियन यूनाइटेड वर्कर्स यूनियन पर मुकदमा दायर किया, और पोस्ट को डिलीट कर दिया और बाद में एक बयान जारी किया जिसमें कहा गया कि इस पोस्ट ने “कंपनी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाया” है। कंपनी ने इस कदमन ने सार्वजनिक प्रतिक्रिया को जन्म दिया और जिसके बाद सोशल मीडिया पर #boycottstarbucks द्वारा इस कंपनी के बहिष्कार की मुहिम शुरू हो गई। इस हैशटैग को सोशल मीडिया पर लाखो हिट प्राप्त हुए हैं।

मैकडॉनल्ड्स रेस्तरां श्रृंखला के साथ भी यही हुआ। 19 अक्टूबर को, इज़रायल में मैकडॉनल्ड्स ने घोषणा की कि उसने इज़राइली सेना के सैनिकों और घायलों को हजारों मुफ्त भोजन दान किया है। इस मुद्दे को लोगों के गुस्से और नफरत का सामना करना पड़ा और मध्य पूर्व में इस रेस्तरां की शाखाओं का व्यापक बहिष्कार हुआ।

हालाँकि मध्य पूर्व में मैकडॉनल्ड्स की शाखाओं ने खुद को तुरंत इज़रायल में मैकडॉनल्ड्स की शाख से अलग करते हुए बयान जारी किया कि उन्होंने स्वतंत्र रूप से फैसला लिया है और इससे मैकडॉनल्ड्स श्रंघला का कोई वास्ता नहीं है। यहां तक कि कुछ शाखाओं ने यहां तक कहा कि वह अपने लाभ कुछ हिस्सा गाजा के लोगों की सहायता के लिए देंगे। लेकिन कोई भी कदम जनता के गुस्से को शांत नहीं कर सका।

दरअसल, जनता ने कंपनियों के इन बहानों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। यही कारण है कि छह महीने के युद्ध के बावजूद दुनिया के विभिन्न देशों, खासकर अरब देशों में मैकडॉनल्ड्स की शाखाओं का अभी भी बहिष्कार किया जा रहा है और बहुत कम लोग उनमें आते हैं।

मैकडॉनल्ड्स के बहिष्कार का दर्दनाक प्रभाव मैकडॉनल्ड्स के सीईओ क्रिस केम्पिंस्की के लिंक्डइन पोस्ट में स्पष्ट था। इस पोस्ट में उन्होंने मध्य पूर्व में मैकडॉनल्ड्स के बहिष्कार के वास्तविक और “निराशाजनक” प्रभाव और इस रेस्तरां के बारे में दी गई “गलत जानकारी” और इससे हुए भारी नुकसान के बारे में बात की।

ज़ारा का विवादास्पद विज्ञापन

ज़ारा का बॉयकॉट

फैशन क्षेत्र के दिग्गज ब्रांडों में से एक “ज़ारा” भी उन कंपनियों में से एक थी जिसका बहिष्कार किया गया। इस कंपनी के विज्ञापनों को दुनिया भर में कई विरोध और प्रदर्शनों का सामना करना पड़ा था। बहिष्का के अलावा इस कंपनी की यूके शाखा पर विवादास्पद विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए मुकदमा दायर किया गया। ज़ारा कंपनी ने अपने विज्ञापन में मॉडलों को गाजा जैसी पृष्ठभूमि वाले खंडहरों के बगल में पत्थरों, ताबूतों और कफन के साथ दिखाया था, और इस प्रकार फिलिस्तीनियों की पीड़ा का मजाक बनाया था।

हालाँकि कंपनी ने इन विज्ञापनों को हटा दिया और घटना को “गलतफहमी” बताते हुए एक बयान जारी किया। लेकिन इसके बावजूद इसके विरुद्ध बॉयकॉट अभियान को रोका नहीं जा सका।

बहिष्कार की इस श्रंखला में में मार्क्स एंड स्पेंसर कंपनी भी शामिल थी, जिसने एक तरह से फिलिस्तीनी झंडे का मजाक उड़ाया था और इसके कारण इसके खिलाफ शिकायत हुई, जिसके बाद इस कंपनी का बहिष्कार किया गया।

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अन्य बहिष्कृत कंपनियों में स्पोर्ट्सवियर क्षेत्र की दिग्गज कंपनी “प्यूमा” उल्लेख कर सकते हैं। इस कंपनी को बहिष्कार आंदोलन ने इज़रायली बास्केटबॉल टीम के साथ अपने प्रायोजन अनुबंध को समाप्त करने के लिए मजबूर किया।

बहिष्कार आंदोलन, और आंदोलन की प्रभावशीलता को बनाए रखने और प्रसार के लिए आंदोलन ने सोशल मीडिया का खूब इस्तेमाल किया।

आज, लक्षित वस्तुओं और उनके विकलपों की पहचान करने के लिए कई विशेष वेबसाइटें हैं, साथ ही विशेष फोन ऐप भी हैं जिनका उपयोग स्टोर में सामान के “बारकोड” को स्कैन करने के लिए किया जाता है ताकि यह पुष्टि की जा सके कि वे बहिष्कार अभियान का हिस्सा हैं या नहीं।

बॉयकॉट का यह आंदोलन 2000 के दशक की शुरुआत में दूसरे इंतिफादा और इराक पर अमेरिकी आक्रमण के बाद अमेरिकी ब्रांडों के बड़े बहिष्कार अभियान की याद दिलाता है, जिसके कारण अमेरिकी सामानों की खरीद में 25 से 40 प्रतिशत के बीच उल्लेखनीय कमी आई थी।

बॉयकॉट का इतिहास

बहिष्कार को व्यक्त करने के लिए अंग्रेजी भाषा में प्रयुक्त शब्द “बॉयकॉट” की उत्पत्ति 1880 में हुई, जब आयरिश श्रमिकों ने भूमि मामलों में ब्रिटिश सरकार के एजेंट “चार्ल्स कनिंघम बॉयकॉट” के साथ सहयोग करने से इनकार कर दिया था। यहीं से किसी भी प्रकार के बहिष्कार के लिए बॉयकॉट शब्द का प्रयोग किया जाने लगा। लेकिन संगठित बहिष्कार का प्रयोग पहली बार उसी वर्ष नवंबर में द टाइम्स द्वारा प्रकाशित एक लेख में किया गया था।

शायद इतिहास में सबसे प्रसिद्ध सफल बहिष्कार अभियानों में से एक में से एक ईरान में 1890 की तंबाकू क्रांति है, जिसे ईरानी मौलवियों द्वारा जारी किया गया था और लोगों ने तंबाकू खरीदना और उपभोग करना बंद कर दिया था, जिसके कारण अंततः ब्रिटेन के साथ एक समझौता जो होने वाला था वह विफल हो गया।

बहिष्कार ऐतिहासिक रूप से उत्पीड़कों के विरुद्ध पीड़ितों की प्रतिरोध का बड़ा और प्रभावी हथियार रहा है। आर्थिक प्रभाव से हटकर, इजरायल समर्थक कंपनियों का बहिष्कार करना अब पूरी दुनिया के लिए एक नैतिक कर्तव्य है, खासकर अगर वह कर्तव्य एक हैमबर्गर या एक कप कॉफी या सोडा छोड़ने से ज्यादा कुछ न हो।

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