सीमा पार उत्पीड़न में सऊदी अरब

सीमा पार उत्पीड़न में सऊदी अरब की कोई मिसाल नहीं

जब कभी सीमा पार उत्पीड़न की पात आती है तो हम पाकिस्तान की तरफ़ देखते हैं, लेकिन मानवाधिकार रिपोर्ट के अनुसार सऊदी अरब इस मामले में अपनी मिसाल आप है।

ह्यूमन राइट्स वॉच ने “आप जहां भी हों, हम आपको ढूंढ लेंगे” शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जो पिछले 15 वर्षों में सीमा पार उत्पीड़न के मामले में अपने देशों के बाहर अपने नागरिकों के खिलाफ मध्य पूर्व की सरकारों द्वारा की गई कार्रवाई का दस्तावेज़ीकरण करती है।

सीमा पार उत्पीड़न और अपने नागरिकों के दमन के मामले में इस रिपोर्ट में जिन देशों का उल्लेख किया गया है, उनमें सऊदी अरब और बहरीन जैसे अरब देश भी शामिल हैं।

ह्यूमन राइट्स वॉच के वरिष्ठ मानवाधिकार अधिकारी ब्रूनो स्टैनो ने कहा, “सरकारों, संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों को सीमा पार उत्पीड़न और दमन को मानवाधिकारों के लिए खतरे के रूप में मान्यता देनी चाहिए। उन्हें अपनी नीतियों में मानवाधिकार ढांचे का सम्मान करना चाहिए और वंचित समूहों और व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए।”

सऊदी अरब के राजाओं का इतिहास

सऊदी अरब के सीमा पार उत्पीड़न, पहले राजा से बिन सलमान तक का इतिहास

22 फरवरी 2024 को प्रकाशित अपनी रिपोर्ट में इस संगठन ने 2018 में इस्तांबुल में सऊदी वाणिज्य दूतावास में प्रसिद्ध सऊदी पत्रकार “जमाल खशोगी” की हत्या को उनकी सीमाओं के बाहर विपक्ष के दमन का एक स्पष्ट उदाहरण बताया।

इसमें यह भी बताया गया है कि सऊदी अरब विपक्ष को चुप कराने और उन्हें चुप रहने के लिए मजबूर करने के लिए उनके परिवार के सदस्यों पर अत्याचार करता है।

इस संदर्भ में, सऊदी अरब के सीमा पार उत्पीड़न व दमन पर यह रिपोर्ट “नासिर अल सईद अल-शम्मारी” का उल्लेख करती है। नासिर अल सईद अल-शम्मारी वह व्यक्ति हैं जिन्होंने अरामको तेल कंपनी के श्रमिकों की स्थिति में सुधार के लिए कई शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किए और कंपनी को उनकी मांगों का जवाब देने के लिए मजबूर करने में सफल रहे। लेकिन 1953 में एक बार फिर फ़िलिस्तीन का समर्थन करने के कारण उन्हें तत्कालीन सऊदी सरकार ने गिरफ़्तार कर लिया था।

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उनकी रिहाई के बाद भी तत्कालीन सऊदी सरकार ने उन पर इतना अधिक प्रताड़ित किया कि उन्हें सऊदी अरब से मिस्र और फिर लेबनान पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ा। बाद में बैरूत में सऊदी खुफिया एजेंसी ने उनका अपहरण कर लिया जिसके बाद उनके बारे में कोई खबर नहीं है।

सीमा पार उत्पीड़न की इस रिपोर्ट में “घनम अल-द्वैसरी” एक अन्य सऊदी असंतुष्ट हैं जो यूट्यूब पर अपने खुलासा करने वाले वीडियो प्रकाशित करने के लिए जाने जाते हैं। कई साल पहले सऊदी सरकार के भारी दबाव के कारण उन्हें इंग्लैंड भी जाकर बसना पड़ा था और अब वह लंदन में रहते हैं।

सऊदी शासन के एजेंटों द्वारा उन्हें बार-बार पीटा गया और जान से मारने की धमकी दी गई। इनमें से एक मामले में, उन्होंने स्पष्ट रूप से बताया कि सऊदी राजकुमारों में से एक ने उनसे संपर्क किया और उन्हें जान से मारने की धमकी दी और कहा कि उन्हें जल्द ही मोहम्मद बिन सलमान के सामने घुटने टेकने के लिए सऊदी अरब में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।

सऊदी अरब विदेशों में अपने देश के नागरिकों पर नज़र रखने के लिए व्यापक रूप से इजराइली जासूसी उपकरड़ों का प्रयोग करता है। इन उपकरणों ने सऊदी अरब द्वारा अपने नागरिकों का सीमा पार उत्पीड़न करने उनको डराने धमकाने यहां तक की हत्या तक कर देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

जमाल खशोगी जिनकी तुर्की में सऊदी दूतावास में हत्या कर दी गई। सीमा पार उत्पीड़न

मनमाना और जबरन प्रत्यावर्तन

नागरिकों के सीमा पार उत्पीड़न पर आधारित इर रिपोर्ट के एक अन्य भाग में, बहरीन जैसे कुछ अरब शासनों द्वारा अंतरराष्ट्रीय पुलिस की मदद से विरोधियों को मनमाने ढंग से और जबरन उनके देशों में वापस भेजने के प्रयास का उल्लेख किया गया है।

इस संदर्भ में, रिपोर्ट में बहरीन के असंतुष्ट अहमद जाफ़र मुहम्मद अली का उल्लेख है। अल-खलीफा शासन द्वारा गिरफ्तार किए जाने और जेल में तरह तरह की यातनाएं बर्दाश्त करने और आजीवन कारावास की सजा पाने के बाद वह सर्बिया भाग गए थे। लेकिन 2022 में उन्हें सर्बिया में मनमाने ढंग से और हिंसक तरीके से गिरफ्तार कर लिया गया और बहरीन लौट आया। अंतर्राष्ट्रीय कानूनों की उल्लंघन करती यह गिरफ्तारी दिखाती है कि मध्य पूर्व के अरब देशों द्वारा अपने नागरिकों का सीमा पार उत्पीड़न का स्तर किस हद तक व्यापक और भयानक है।

इस रिपोर्ट में सऊदी खुफिया संगठन के पूर्व प्रमुख साद अल जाबरी का भी जिक्र है, जिन्हें 2018 के अंत में कनाडा में सऊदी सरकार द्वारा मारने की कोशिश की गई। इस हत्या के प्रयास में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस बिन सलमान पर अमेरिका में मुकदमा चल रहा है।

अल-जाबरी को बिन सलमान से और भी शिकायतें हैं जिनमें उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका और सऊदी अरब के बीच संबंधों के बारे में गुप्त जानकारी होने के कारण बिन सलमान द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका में उनकी हत्या करने के कई प्रयासों का उल्लेख किया है।

सीमा पार उत्पीड़न के कई मामलों में इजरालयी जासूसी साफ्यवेयर पेगासस का उपयोग किया गया है

इजरायली कंपनियों के साथ सऊदी गठबंधन

2018 में जारी जानकारी के अनुसार, सऊदी अधिकारियों ने नागरिकों, कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के बारे में डेटा, विवरण और समाचार प्राप्त करने के उद्देश्य से ट्विटर कर्मचारियों को अपने पक्ष में किया।

रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि कुछ पत्रकारों और ट्विटर उपयोगकर्ताओं के खातों की जासूसी के कारण उनमें से कुछ को गिरफ्तार किया गया और उन पर मुकदमा चलाया गया। इसके अलावा, यूरोपीय सऊदी मानवाधिकार संगठन के अनुसार, सऊदी शासन ने नागरिकों को ट्रैक करने और उनकी स्थिति और विचारधारा के लिए पूछताछ करने और उन्हें परेशान करने के लिए निजी सोशल मीडिया डेटा का उपयोग किया है।

रिपोर्ट के इस भाग से पता चलता है कि दुनिया के अलग अलग देशों में अरब देशों द्वारा अपने नागरिकों के दमन में सोशल मीडिया का भी बड़ा हाथ है, और इस सीमा पार उत्पीड़न के मामलों में इन कंपनियों से भी पूछताछ की जानी चाहिए।

प्रेस रिपोर्टों ने 2021 में सऊदी शासन द्वारा पेगासस जासूसी प्रणाली की खरीद की पुष्टि की, जिसका उपयोग शासन ने विदेशों में असंतुष्टों को ट्रैक करने और उन पर नज़र रखने के लिए किया था।

अंग्रेजी अखबार “गार्जियन” ने इस बात पर जोर दिया था कि एनएसओ समूह ने “सऊदी शासन को” हैकिंग टूल बेचने का लाइसेंस प्राप्त कर लिया है और इस क्षेत्र में अपनी तकनीक सऊदी अरब को बेचने के लिए एक गोपनीय अनुबंध संपन्न किया है। बाद में पता चला कि इस कॉन्ट्रैक्ट की कीमत कम से कम 55 मिलियन डॉलर थी।
2021 में, संयुक्त राष्ट्र ने अमेज़ॅन के सीईओ और वाशिंगटन पोस्ट अखबार के मालिक जेफरी बेजोस के फोन से मोहम्मद बिन सलमान के लक्षित वायरटैपिंग के बारे में रिपोर्ट प्रकाशित की।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सऊदी अरब ने प्राप्त जानकारी का इस्तेमाल बदला लेने के उद्देश्य से बेजोस और वाशिंगटन पोस्ट अखबार के खिलाफ किया, क्योंकि अखबार ने जमाल खशोगी की हत्या के संबंध में सऊदी शासन और खुद बिन सलमान के खिलाफ कई गंभीर रिपोर्ट प्रकाशित की थीं।

दूसरी ओर, स्लोवाक इंटरनेट सुरक्षा कंपनी “ई-सेट” के मॉन्ट्रियल स्थित शोधकर्ताओं द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में सऊदी अरब में इजरायली कंपनी “कैंडेरो” द्वारा जासूसी सॉफ़्टवेयर के उपयोग का खुलासा हुआ।

कंपनी ने घोषणा की कि सऊदी अरब ब्रिटिश मीडिया आउटलेट मिडिल ईस्ट आई, इतालवी कंपनी पियागो एयरोस्पेस और ईरान, सीरिया, यमन और हिजबुल्लाह की आधिकारिक वेबसाइटों को लक्षित कर रहा है।

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