अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों के अनुसार 2024 में सऊदी अरब में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अभिव्यक्ति की आज़ादी का उपयोग करने वालों को मौत की सज़ा दिए जाने में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।
सऊदी अरब में मौत की सज़ा पाने वालों की संख्या 69 तक पहुँच गई है, अभी हाल में ही चार और लोगों को मौत की सज़ा सुनाई गई है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मानवाधिकार के क्षेत्र में कार्य करन वाले कार्यकर्ताओं को लगातार मौत की सज़ा और उत्पीड़न की आशंका रहती है और यह लगातार बढ़ रही है।
वह मानवाधिकार कार्यकर्ता जिनकों सऊदी शासन द्वारा मौत की सज़ा दी गई है उनमें सलमान अल-औदेह, अवद अल-करनी और अली अल-ओमारी का नाम उल्लेखनीय है। मौत की सज़ा पाने वालों में अब्दुल्लाह अल-हुवैती और अल-साबिती और हसन अल-फराज जैसे नाम भी दिखाई देते है तो नाबालिग है।
मौत की सज़ा पाने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की वास्तविक संख्या
मानवाधिकार संगठन इस बात कर जोर देते हैं कि मौत की सज़ा पाने वाले जिन लोगों के नाम सार्वजनिक हुए हैं, वह वास्तविक सज़ा पाने वालों से कहीं कम है। मौत की सज़ा पाने वालों का वास्तविक आंकड़ा इन आंकड़ों से अधिक हो सकता है।
याद रहे कि सऊदी सरकार मौत की सज़ा पाने वालों का अधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं करती है। मानवाधिकार संगठन इस देश में मौत की सज़ा पाने वालों में से केवल तीन प्रतिशत को ही ट्रैक कर सके हैं। इससे पता चलता है कि वास्तविक आंकड़ा कितना बड़ा हो सकता है।
सऊदी अरब के गृह मंत्रालय और सरकारी न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार इस देश के शाही शासन ने इस साल 147 लोगों को मौत की सज़ा सुनाई है। इन मौत की संख्या में केवल एक ही दिन में 81 लोगों को सामूहिक रूप से मौत की दी गई।
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याद रखा जाना चाहिए कि सऊदी अरब में मौत की सज़ा फांसी देकर या इंजेक्शन देकर नहीं दी जाती है, बल्कि मौत की सज़ा पाने वाले की गर्दन काट दी जाती है।
यह भी अनुमान लगाया गया है कि 2022 में सऊदी अरब में मौत की सज़ा पाने वालों की वास्तविक संख्या सऊदी सरकार के आधिकारिक आंकड़ों से 15% अधिक है।
मानवाधिकार संगठनों के अनुसार, सऊदी अरब ने 2023 के तीसरे महीने में पहली मौत की सज़ा देकर साल की शुरूआत की और अगले 10 महीनों में 17 और लोगों को मौत की सज़ा सुनाई गई।
सऊदी अरब में पहली बार रमज़ान के महीने में दी गई मौत की सज़ा
इन मौत की सज़ाओं में रमज़ान के महीने में दी जाने वाली सज़ाओं को भी जोड़ा जाना चाहिए, क्योंकि यह सऊदी इतिहास में अभूतपूर्व है। इससे पहले तक सऊदी अरब में रमज़ान के महीने में मौत की सज़ा न दिए जाने का इतिहास रहा है। क्योंकि इस्लामी मान्यताओं के अनुसार इस महीने में मौत की सज़ा नहीं दी जाती है और रमज़ान को वर्जित महीनों में से माना जाता है।
इसीलिए यह अनुमान लगाया जाता हैकि मौत की सज़ा पाने वालों की वास्तविक संख्या बहुत अधिक हो सकती है। मानवाधिकार आयोग का कहना है कि 2022 में सऊदी अरब में मौत की सज़ा पाने वालों की वास्तविक संख्या घोषित संख्या से 29% अधिक है।
एमनेस्टी इंटरनेशनल को दिए एक बयान में, मानवाधिकार आयोग ने घोषणा की कि सऊदी अरब ने 2022 में 196 लोगों को मौत की सज़ा दी, जबकि देश की आधिकारिक समाचार एजेंसी (डब्ल्यूएएस) ने केवल 147 मामलों का उल्लेख किया। यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर यूरोपीय सऊदी मानवाधिकार संगठन ने भी ध्यान दिलाया है और सऊदी अरब में गुप्त मौत की सज़ाओं पर रिपोर्ट दी है।
इसके अलावा, 2023 में 6 मौत की सज़ाओं के साथ सऊदी अरब में महिलाओं की मौत की संख्या में 2022 की तुलना में 3.4% और 2021 की तुलना में 0.69% की वृद्धि देखी गई है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, आतंकवादी अपराधों के लिए आपराधिक अदालत द्वारा 30 मामलों में मौत की सज़ा सुनाई गई, जबकि अपराधिक कार्य और हत्या के मामले में केवल 8 लोगों को मौत की सज़ा सुनाई गई।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आपराधिक अदालत में जारी किए गए 70% से अधिक मौत की सजाएं अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार किए गए अपराधों के योग्य सजाएं नहीं थीं, और अपराध और सजा के बीच कोई आनुपातिकता नहीं थी।
मौत की सजा पाए लोगों के आरोपों में मोलोटोव कॉकटेल फेंकना, उत्पीड़न के तहत लोगों को आश्रय देना और इन लोगों के साथ व्यवहार करना, अवैध रूप से देश छोड़ना और हथियार ले जाना जैसे आरोप हैं।
यूरोपीय सऊदी मानवाधिकार संगठन की घोषणा के अनुसार, सऊदी शासन ने 2023 में मारे गए लोगों के शवों को हिरासत में लेने की नीति जारी रखी और दर्जनों मारे गए लोगों के शवों को हिरासत में ले लिया और शवों को उनके परिवारों को सौंपने से इनकार कर दिया।