सऊदी सरकार एक मकड़ी के जाल की तरह है, पर्यवेक्षक इस बात पर एकमत हैं कि यह एक ऐसा जाला है जो किसी भी विरोध और सऊदी सुधारवादियों के अपने अंदर फंसा कर उसे समाप्त कर देना चाहता है।।
सऊदी शासन अपने व्यापक उत्पीड़न की सच्चाई उजागर होने के डर से तथ्यों को विकृत करने की पूरी कोशिश करती है।
सऊदी सरकार के सुधार के वादों पर एक सैनिक की आपबीती
क्या आप नासिर अल-क़हतानी को जानते हैं? सलीम नासिर अल-क़हतानी एक सऊदी अधिकारी हैं जिन्होंने सेना से इस्तीफा दे दिया है। इस समय वह मीडिया और राजनीति में सक्रिय है। सऊदी अरब में नासिर अल-कहतानी शासन में सुधार लाने और लोकतंत्र की मांग का एक मुख्य चेहरा माने जाते हैं। अपने बेबाक राय के कारण उनहें सऊदी शासन की तरफ़ से कई बार उत्पीड़न का भी सामना करना पड़ा है।
जब से सऊदी अरब में सलमान बिन अब्दुल अज़ीज़ किंग और उनके बेटे बिन सलमान क्राउन प्रिंस बने हैं यह सरकार अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर लगातार सुधार और राजनीतिक आज़ादी का ढिंदोरा पीट रही है। लेकिन नासिर अल-कहतानी उन सुधार के दावों की कलई खोलती है।
अल-कहतानी ने सेना क्यों छोड़ी
दरअसल, सलीम बिन नासिर अल-क़हतानी सऊदी वायु सेना में एक पूर्व अधिकारी हैं, जिन्हें सलीम बिन नासिर बिन अब्दुल्ला बिन मंसूर अल-क़हतानी के नाम से जाना जाता है। उन्हें अल-सऊद सरकार के खिलाफ उनके राजनीतिक रुख के परिणामस्वरूप उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था।
वह सोशल नेटवर्क और वैकल्पिक मीडिया के माध्यम से अपनी गतिविधियों के लिए भी जाने जाते थे। उन्होंने बिन सलमान सरकार की आलोचना और लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए अपनी मांगों को व्यक्त किया।
सलीम बिन नासिर अल-क़हतानी ने सऊदी सशस्त्र बलों में भी काम किया है, विशेष रूप से रॉयल एविएशन स्क्वाड्रन में, जहां उन्होंने अपनी बर्खास्तगी से पहले (प्रथम लेफ्टिनेंट) का पद संभाला था।
सऊदी सरकार में असहमति पर प्रतिबंध
सऊदी अरब में हर नए सऊदी सुधारवादी के उभरने के साथ, सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, जो देश और सऊदी अरब के लोगों के सबसे खतरनाक दुश्मन साबित हुए हैं, ने अपने सभी मीडिया, प्रचार और साइबर उपकरणों का इस्तेमाल सुधारवादियों के खिलाफ कर दिया है।
सलीम बिन नासिर अल-क़हतानी ने अपने बयान में कुरान की कसम खाते हुए कहा है कि भ्रष्टाचार और सुधार की मांग को कारण ही उन्होंने संघर्ष शुरू किया है। उनका कहना है कि जब तक देश में सुधार लागू नहीं किए जाते हैं तब तक वह सऊदी सरकार और शाही शासन के विरुद्ध आवाज़ उठाना जारी रखेंगे।
जैसे ही पूर्व सऊदी लेफ्टिनेंट कहतानी के ये बयान प्रकाशित हुए, बिन सलमान की इलेक्ट्रॉनिक मधुमक्खियों ने काम करना शुरू कर दिया और उनको ट्रोल किया जाना शुरू कर दिया गया, उन पर मानसिक बीमारी, घर से भागने और देशद्रोह सहित सभी प्रकार के आरोप लगाए।
विरोधियों को किया जाता है ट्रोल
कहतानी के विरुद्ध केवल 24 घंटों के भीतर 25 मिलियन से अधिक ट्वीट, 14,000 लाइक और 8,000 से अधिक कमेंट इस सऊदी सुधारक, लेफ्टिनेंट के खिलाफ मोहम्मद बिन सलमान के साइबर हमले का सिर्फ एक मामला है।
क्या ये आंकड़े उस गंभीर और बड़े संकट को नहीं दिखाते हैं जिसका सामना मोहम्मद बिन सलमान कर रहे हैं, और क्या ये सऊदी क्राउन प्रिंस के डर और आतंक को भी नहीं दिखाते हैं, जो सऊदी सुधारवादी समूह की एक भी आवाज़ से डरते हैं।
सऊदी क्राउन प्रिंस एक व्यक्ति के भाषण, उसके विरोध और सुधार की अपील से इतना क्यों डरते हैं?
यह भी पढ़ें सऊदी अरब के मानवाधिकार रिकॉर्ड के खूनी साल पर नवीनतम दस्तावेज़
क्या ऐसा नहीं है कि किसी भी समाज में असहमति और विरोध एक स्वाभाविक बात है, तो विरोधियों के साथ बातचीत के दरवाजे खोलने के बजाय, सऊदी सरकार और क्राउनप्रिंस मोहम्मद बिन सलमान देशद्रोह जैसे आरोप लगाने और उनकी पीछे अपनी साइबर आर्मी क्यों लगाते हैं?
सऊदी सुधारवादी और सरकार विरोधी इस बात पर जोर देते हैं कि मोहम्मद बिन सलमान के सुधार केवल मनोरंजन क्षेत्र और धार्मिक आज़ादी तक सीमित है। लेकिन एक ऐसा सुधार जो स्वतंत्र सऊदी अरब के लिए राजनीतिक आधार प्रदान करता हो और देश के लोगों के अधिकारों की रक्षा करता हो, सऊदी सरकार और इस देश के राजा के एजेंडे में शामिल नहीं है।
सऊदी क्राउन प्रिंस ने उन दर्जनों लंबी और कठोर सज़ाओं का उल्लेख नहीं किया जो उन्होंने बोलने की आजादी वाले दर्जनों कैदियों को दी हैं। क्राउनप्रिंस सुधार की डुगडुगी तब पीट रहे हैं कि जब सऊदी जेलों में बंद दर्जनों अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सऊदी सुधारवादी और राजनीतिक कैदी अपनी सज़ा की सीमा पूरी करने के बाद भी सज़ा काट रहे हैं। और कई तो उसी जेल में मर गए हैं।
पर्वेक्षकों के मुताबिक, अरब और इस्लामिक देशों के बीच सऊदी अरब की स्थिति असामान्य है। यह देश मानवीय और इस्लामी परिभाषाओं से परे है। सऊदी अरब में जो कुछ भी होता है उसका अर्थ यह है कि इस देश में केवल राजा और क्राउनप्रिंस रहते हैं। सऊदी सरकार की नज़र में इस देश की जनता का कोई महत्व नहीं है।
सऊदी अरब की सरकार के शक्ति स्तंभ
पर्वेक्षक इस बात पर जोर देते हैं कि सऊदी शासन तीन स्तंभों पर आधारित है। पहला राजनीतिक स्तंभ, जिसका अर्थ यह है कि सरकार केवल अल सऊद की संतानों में रहेगी। दूसरा स्तंभ वहाबीवाद। और तीसरा स्तंभ नज्दी संस्कृति की छाप है। सऊदी शासन सभी व्यक्तिगत, धार्मिक और सांप्रदायिक स्वतंत्रताओं को छीन लेता है और उन्हें बलपूर्वक पूरी तरह से कुचल देता है।
इन सभी कारकों के कारण सऊदी सरकार के विरोधियों की संख्या हर दिन बढ़ रही है और यह एक महामारी बन गई है, खासकर धार्मिक मिशनरियों, बुद्धिजीवियों और अधिकारियों के बीच, और यह मुहम्मद बिन सलमान और उनकी नीतियों के प्रति नफरत में वृद्धि के अलावा और कुछ नहीं है।