मध्यपूर्व और नेविगेशन एक्सपर्ट्स का मानना है कि यमन पर अमेरिकी-ब्रिटिश हमले हौथियों के कश्तियों पर हमले को रोकने में सफल नहीं हो सकेंगे।
यमन पर अमेरिकी-ब्रिटिश हमले शुरू होने के बाद बहुत से क्षेत्रीय और नेविगेशन एक्सपर्ट्स का मानना है कि जिस मकसद से यह हमले किए जा रहे हैं उनका पूरा होना संभव नहीं है।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि अमेरिकी और ब्रिटेन ने यमन पर हमले इसलिए शुरू किए हैं ताकि लाल सागर में व्यापारिक जहाज़ों पर हौथियों के हमले को रोका जा सके, लेकिन यमन पर अमेरिकी-ब्रिटिश हमले इजरायली जहाजों या इजरायली बंदरगाहों के खिलाफ हौथिस की नौसैनिक कार्रवाई को रोकने के लिए पर्याप्त प्रभावी नहीं हैं।
एक शोध में, “अटलांटिक काउंसिल” अनुसंधान केंद्र ने शुक्रवार की रात यमन पर अमेरिकी ब्रिटिश हवाई और मिसाइल हमलों का मूल्यांकन करते हुए लाल सागर में यमनी “हौथिस” आंदोलन के हमलों को रोकने पर इन हमलों के प्रभाव का मूल्यांकन किया।
अपने शोध में इस अनुसंधान केंद्रे ने इस बात पर जोर दिया है कि अगर गाजा पट्टी पर इजरायल के हमले जारी रहते हैं तो अमेरिकी के मध्यपूर्व के संघर्षों में शामिल होने और इनके विस्तार का खतरा बढ़ जाएगा।
यमन पर अमेरिकी-ब्रिटिश हमले हौथियों की शक्ति को कम नहीं कर सकेंगे
इस अनुसंधान केंद्र ने तीन राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञों का हवाला देते हुए बताया कि यमन पर अमेरिकी-ब्रिटिश हमले हौथियों के नौसैनिक हमलों को नहीं रोक सकते हैं। अमेरिकी और ब्रिटेन दोनों इन हमलों के प्रभावी न होने के बार में लेकिन फिर भी वह इन हमलों के द्वारा क्षेत्र में अपनी प्रतिरोधक क्षमता बहाल करने का प्रयास करते हैं।
इस संदर्भ में, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय सुरक्षा के विशेषज्ञ “जोनाथन बानिकोव” ने कहाः जो हालात दिख रहे हैं उसके बाद निश्चित रूप से हौथी हमलों के रूप में प्रतिक्रिया देंगे जो क्षेत्र में संघर्ष और टकराव के दायरे के विस्तार का संकेत देता है।
मरीन एक्सपर्ट “क्रिस्टन फॉन्टेनरोज़” का मानना है कि यमन पर अमेरिकी-ब्रिटिश हमले से केवल “हमलों के दायरे के विस्तार को बढ़ावा मिलेगा और अंतरराष्ट्रीय शिपिंग पर हमलों की संख्या में वृद्धि होगी”
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क्रिस्टन इस बात पर जोर देते हैं कि अमेरिकी और ब्रिटेन दोनों इस बात को जानते हैं कि हौथियों के हमलों से अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग को कोई खतरा नहीं है। हौथी केवल उन जहाजो को धमकाते और हमला करते हैं जो इजराय के स्वामित्य वाले हो या फिर इजरायल की तरफ़ जा रहे हैं, हौथियों का लक्ष्य केवल इजरायल की बंदरगाह है।
क्रिस्टन स्वीकार करते हैं कि यमन पर अमेरिकी ब्रिटिश हमलों के बावजूद, हौथी हमले जारी रहेंगे, हालांकि शायद यह हमले “हौथियों के हमलों की व्यापकता और विस्तार या सैन्य कार्रवाई को बढ़ाने की शक्ति को कमजोर कर सकते है।”
हौथियों पर अमेरिकी और ब्रिटेन के हमले केवल कमांड सेंटर तक सीमित रहेंगे
एक और मरीन एकस्पर्ट “डैनियल माउटन” का मानना है यमन पर अमेरिकी-ब्रिटिश हमले हौथिस के कमांड और नियंत्रण केंद्रों, विशेषकर इस आंदोलन के नौसैनिक कमांड से संबंधित केंद्रों तक सीमित होंगे और उससे आगे नहीं बढ़ेंगे।
वह बताते हैं: “अमेरिका और इंग्लैंड अच्छी तरह से जानते हैं कि कोई भी साहसिक कार्रवाई न केवल पूरे क्षेत्र को पूर्ण पैमाने पर युद्ध में शामिल करेगी, बल्कि ये दोनों देश भी इस युद्ध में शामिल होंगे, जो वे नहीं चाहते हैं। इसीलिए वह हमले केवल हौथियों से संबंधित केंद्रों तक सीमित रखेंगे, क्योंकि इससे युद्ध के विस्तार का खतरा कम है।
हौथियों की प्रतिक्रिया
यमन पर अमेरिकी-ब्रिटिश हमले पर हौथियों की प्रतिक्रिया के बारे में जॉनाथन कहते हैं: “सऊदी अरब के नेतृत्व वाले अरब गठबंधन के साथ अपने बहु-वर्षीय युद्ध से हौथियों को बहुत अनुभव प्राप्त हुआ है, और इस दौरान उन्होंने बार-बार अपनी परेड में अपने नए हथियारों का प्रदर्शन और अनावरण किया है।”
वह आगे कहते हैं: “सऊदी अरब और यूएई के साथ युद्ध में अनुभव प्राप्त करना, नई मिसाइलों और ड्रोन सहित हथियार प्राप्त करना, और साथ ही यह विश्वास कि यमन पर अमेरिकी-ब्रिटिश हमले ज़मीनी अभियान का रूप नहीं लेगें, हौथियों को संयुक्त राज्य अमेरिका और इंग्लैंड की धमकियों और सैन्य हमलों की परवाह किए बिना अपने हमले जारी रखने की अनुमति देता है।
हौथियों के विश्वास और साहस पर बोलते हुए डैनियल कहते हैं कि 2016 के बाद सऊदी अरब और यूएई के नेतृत्व वाले पश्चिम समर्थित अरब गठबंधन की भयानक बमबारी के बीच हौथियों ने पनाहगाहों में जाने के बजाए अपनी सैन्य शक्ति को अन्नत करने पर ध्यान केंद्रित किया, इसलिए ऐसा नहीं लगता है कि इन हमलों से वह डर जाएंगे और इजरायली जहाज़ों या फिर इजरायल की तरफ़ जाने वालें जहाज़ों पर वह हमले करना रोक देंगे!
लेकिन कर्स्टन का मानना है कि हौथियों ने गलत अनुमान लगाया, उन्होंने सोचा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन चुनाव करीब होने के कारण उनके खिलाफ सैन्य कार्रवाई नहीं करेंगे।
तेहरान की प्रतिक्रिया
तेहरान की प्रतिक्रिया के बारे में कर्स्टन का मानना है कि यमन पर हमले से सीधे तौर पर अमेरिका और ईरान के बीच तनाव नहीं बढ़ेगा।
वह कहते हैं: “तेहरान को किसी भी टकराव और संघर्ष में प्रवेश करने की आवश्यकता नहीं दिखती है, क्योंकि तेहरान वास्तव में दुनिया भर में अमेरिका की लोकप्रियता को कम करने और अरब दुनिया के साथ अपने राजनयिक संबंधों को सुधारने के इज़राइल के प्रयासों की विफलता से अपने रणनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त कर रहा है।
लेकिन डेनियल का मानना है कि ईरान हौथियों का समर्थन करना जारी रखेगा, इसका मतलब यह है कि अमेरिका और इंग्लैंड को इस जितनी मेहनत हौथियों के केंद्रों पर हमला करने के लिए करनी है उतनी ही ईरान की सहायता में कटौती करने का एक रास्ता खोजने के लिए भी करनी होगी।
जॉनाथन यह भी कहते हैं: “यमन पर अमेरिकी-ब्रिटिश हमले ने ईरान को एक बहुत महत्वपूर्ण संदेश भेजा है। संदेश यह है कि ईरान और उसके सहयोगी मध्यपूर्व में जो दिल चाहे वह नहीं कर सकते हैं, उनको कोई गलत कार्रवाई पर जवाब दिया जाएगा और प्रतिशोधात्मक कार्रवाई होगी, और इससे आने वाले महीनों में पूर्ण पैमाने पर और खूनी क्षेत्रीय युद्ध छिड़ सकता है।
यमन पर अमेरिकी-ब्रिटिश हमले पर रियाद की प्रतिक्रिया
सऊदी अरब की स्थिति के बारे में जोनाथन का कहना है कि रियाद में परस्पर विरोधी विचार हैं।
वह आगे कहते हैं: “निस्संदेह, रियाद सऊदी अरब के साथ वार्ता समाप्त करने और इस देश पर हमला करके सीधा बदला लेने के हौथिस के कार्यों से चिंतित है, लेकिन साथ ही, रियाद को यह भी पता है कि अगर हौथियों की शक्ति बढ़ती है तो उनके साथ बातचीत और कठिन हो जाएगी।”
जॉनाथन कहते हैं कि हथियों ने जो क्षेत्रीय कार्य शुरू किए हैं अगर उनका सही जवाब नहीं दिया जाता है तो निःसंदेह उनकी ताकत और बढ़ जाएगी, और सऊदी अरब यह नहीं चाहता है। साथ ही हौथियों के नौसैनिक हमले रियाद के लिए एक चिंताजनक खतरा हैं जिसे सीमित किया जाना चाहिए।