जनरल सुलेमानी को पश्चिम ऐशिया में अमेरिकी आधिप्तय के विरुद्ध ईरान के बड़े चेहरे के तौर पर जाना जाता है जिनकी अमेरिकी प्रिसिडेंट डोनल्ड ट्रम्प के आदेश पर इराक़ की राजधानी बगदाद में हत्या कर दी गई थी।
पिछले दो दशकों में, पश्चिम एशियाई क्षेत्र में अमेरिकी आधिपत्य में लगातार गिरावट दर्ज की गई और यह देश अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में विफल रहा है।
पिछले दो दशक में पश्चिमी एशिया में अमेरिकी रणनीतिक के आयाम कुछ इस प्रकार रहे हैं:
- ईरान पर अंकुश लगाना
- प्रतिरोधी मोर्चे को कमज़ोर करना
- पश्चिम एशिया में अपनी उपस्थिति और स्थिति का पुनर्निर्माण
- इजरायल को मजबूत करना
पश्चिम एशिया में अमेरिका के लक्ष्य
अमेरिकी सिद्धांतकार स्टीफन लैंडमैन कहते हैं: अमेरिका अपनी पश्चिम एशिया नीति कभी नहीं बदलेगा।
पश्चिम एशिया में वाशिंगटन का लक्ष्यः
- अपने नक्शे के अनुसार क्षेत्र का निर्माण करना।
- क्षेत्र के देशों को कमजोर करना
- संसाधनों की लूटपाट और साम्राज्यवादी शक्तियो में उनका बटवारा।
स्टीफन का मानना है कि जब तक यह क्षेत्र तेल से समृद्ध है, अमेरिकी सेना का हस्तक्षेप वहां बना रहेगा।
पश्चिम एशिया की मौजूदा स्थितियों के आकलन से पता चलता है कि क्षेत्र में बदलाव संयुक्त राज्य अमेरिका की रणनीति और हितों के खिलाफ हो रहा है। न केवल ईरान की स्थिति कमजोर नहीं हुई है, बल्कि क्षेत्र के कई देश तेहरान की स्थिति को स्वीकार करके ईरान के साथ संबंधों को पुनर्जीवित करने की दिशा में आगे बढ़े हैं।
दूसरी तरफ़ न केवल पश्चिम एशियाई क्षेत्र में प्रतिरोध का पतन नहीं हुआ है, बल्कि आज हम इस क्षेत्र में प्रतिरोध की शक्ति को बढ़ता हुआ देख रहे हैं। अमेरिका न केवल पश्चिम एशिया में अपनी स्थिति का फिर निर्माण करने में असफल रहा, बल्कि पश्चिम एशिया की सबसे बड़ी विशेषता अमेरिका विरोध है।
हालांकि इज़राइल ने अरब देशों के साथ संबंधों को सामान्य करके अमेरिकी प्रशासन की सहायता से अपनी स्थिति को स्थिर करने की कोशिश की है लेकिन “अल-अक्सा स्टॉर्म” ऑपरेशन, जो 7 अक्टूबर को हमास द्वारा हुआ ने फिर दिखा दिया कि यह शासन अब भी अपने को लेकर खतरे में है।
पश्चिम एशिया में जनरल सुलेमानी ने अमेरिका को कैसे हराया?
पश्चिम एशिया में अपने लक्ष्यों को हासिल करने में अमेरिका की विफलता के कई कारण थे, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण कारणों में से एक जनरल कासिम सुलेमानी (General Qassem Soleimani) की प्रमुख भूमिका थी।
कई अमेरिकी कुद्स फोर्स के कमांडर जनरल सुलेमानी (General Qassem Soleimani) को “फर्स्ट डिग्री का दुश्मन” और अधिक सम्मानजनक तरीके से “सम्माननीय दुश्मन” बताते हैं।
इस व्याख्या का मुख्य कारण पश्चिम एशियाई क्षेत्र में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में अमेरिका की विफलता में जनरल सुलेमानी की भूमिका थी।
अमेरिकी सेना के पूर्व ख़ुफ़िया अधिकारी स्कॉट रिटर ने जनरल सुलेमानी (General Qassem Soleimani) की कार्यशैली का एक दिलचस्प विवरण दिया है, उन्होंने अपने विवरण के एक भाग में कहा है: सुलेमानी एक सफल जनरल और राजनयिक थे जिन्होंने हमसे बेहतर खेल खेला, उन्होंने हमें पूरे समय हराया, हमारे पास उनका कोई तोड़ नहीं था, और हमने उन्हें मार डाला।
लेकिन अहम सवाल ये है कि जनरल सुलेमानी को ये अहम कामयाबी कैसे मिली? इस प्रश्न के उत्तर में दो महत्वपूर्ण बातें कही जा सकती हैं।
लोगों की क्षमता और प्रतिरोध नेटवर्किंग का उपयोग करना
जनरल सुलेमानी (General Qassem Soleimani) द्वारा अपने जीवनकाल के दौरान किए गए सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक इस क्षेत्र में प्रतिरोध समूहों का प्रसार था।
प्रतिरोध समूह लेबनान और फ़िलिस्तीन दोनों देशों में हमेशा से मौजूद थे, लेकिन जनरल सुलेमानी (General Qassem Soleimani) की गतिविधियों के दौरान इन समूहों की भू-राजनीति स्थापना में व्यापक परिवर्तन हुए, जिससे आज ये समूह लेबनान और फ़िलिस्तीन के अलावा, सीरिया, इराक और यमन में भी स्थित हैं और उनकी प्रभावशाली भूमिका है।
उदाहरण के लिए, वर्तमान में यमन में, हौथिस को इस देश में सबसे संगठित राजनीतिक अभिनेता माना जाता है, जो सना में राष्ट्रीय मुक्ति की सरकार बनाने में सक्षम है।
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आज, फ़िलिस्तीन में प्रतिरोध समूहों की एक नई पीढ़ी का उत्थान हुआ है, जिसने प्रतिरोधी अभियानों को इजरायल के भीतर तक पहुँचाया है। और इराक में, कई समूह इस देश से अमेरिकी सैनिकों के निष्कासन में विश्वास करते हैं।
प्रतिरोध की धुरी की मजबूती केवल इन समूहों के प्रसार के रूप में नहीं हुई, बल्कि इन समूहों की सुसंगतता, एकीकरण और नेटवर्क कार्यप्रणाली बहुत महत्वपूर्ण है।
गाजा में हाल के युद्ध में, यमनियों ने गाजा की रक्षा के लिए इजरायल स्वामित्य वाले या इजरायल जा रहे जहाजों हम हमला बोला, और इराकी प्रतिरोध समूहों ने इस देश में अमेरिकी ठिकानों पर बार-बार हमलों के साथ इजरायल के अपराधों के लिए वाशिंगटन के समर्थन पर प्रतिक्रिया व्यक्त की।
प्रतिरोध समूहों के प्रसार और उनकी नेटवर्किंग ने क्षेत्र में अमेरिका की स्थिति को कमजोर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
कूटनीति और युद्ध का मेल
जनरल सुलेमानी (General Qassem Soleimani) के महत्वपूर्ण कौशलों में से एक यह था कि एक सैन्य कमांडर के साथ साथ कूटनीति का भी प्रयोग करना खूब जानते थे।
उन्होंने कूटनीति और युद्ध को मिश्रित कर उसे संयुक्त रूप में उपयोग किया। उनकी सफल कूटनीति का एक महत्वपूर्ण उदाहरण रूस को सीरियाई संकट में भाग लेने के लिए राजी करना था। आतंकवादी समूहों को हराने और देश की क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने में सीरियाई शासन की सफलता में रूस की उपस्थिति ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि सीरिया में सैन्य उपस्थिति के लिए रूस की सहमति जनरल सुलेमानी की कूटनीतिक कुशलता का परिणाम थी।
इस कमांडर की महत्वपूर्ण सफलताओं में से एक क्षेत्रीय और राजनीतिक घटनाओं की सही और सचेत पहचान और सही और समय पर सटीक राजनीतिक निर्णय लेना था।
उदाहरण के लिए, जिस तरह जनरल सुलेमानी (General Qassem Soleimani) ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को सीरिया में सैन्य उपस्थिति के लिए मना लिया, उसी तरह उन्होंने पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ के पत्र को खोलने से भी इनकार कर दिया, ताकि यह दिखाया जा सके कि वह दुश्मन को जानते हैं।
सारांश
सच तो यह है कि पश्चिम एशियाई क्षेत्र में अमेरिकी आधिपत्य का पतन अरब जगत में इस्लामी जागृति के समय ही शुरू हो गया था। अमेरिका की योजनाएँ, जिनका उद्देश्य क्षेत्र में इजरायल की स्थिति को मजबूत करना था, विफल हो गईं और प्रतिरोध की धुरी एकता और समन्यव के साथ क्षेत्र की महत्वपूर्ण भू-राजनीति शक्ति में बदल गई।
अमेरिका की धारणा थी कि जनरल सुलेमानी (General Qassem Soleimani) की हत्या से पश्चिम एशियाई क्षेत्र में प्रतिरोध की प्रगति और मजबूती रुक जायेगी। लेकिन अमेरिकियों की समझ गलत थी, क्योंकि जनरल सुलेमानी एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक विचारधारा थे जो उनकी हत्या से नष्ट या भुलाई नहीं जा सकती है।
“अल-अक्सा स्टॉर्म” ऑपरेशन उन महत्वपूर्ण कार्रवाइयों की निरंतरता है जो जनरल सोलेमानी ने क्षेत्र में अमेरिका की स्थिति को कमजोर करने और प्रतिरोध की धुरी की स्थिति में सुधार करने के इरादे से शुरू किया था।