इजरायल का बहिष्कार करने के लिए फिलिस्तीनी राष्ट्रीय समिति, फिलिस्तीनी समुदाय का सबसे व्यापक गठबंधन और BDS Movement के नेतृत्व ने इस बात पर जोर दिया कि संयुक्त अरब अमीरात गाजा पट्टी को नष्ट करने के युद्ध में इजरायल का भागीदार है।
एक बयान में, इस समिति ने उस आह्वान को आगे बढ़ाया जो उसने अरब दुनिया में दर्जनों पार्टियों, यूनियनों, संघों, सिंडिकेट और मानवाधिकार संगठनों के सहयोग से जारी किया था, जिसमें संयुक्त अरब अमीरात द्वारा आयोजित सभी कार्यक्रमों और गतिविधियों का बहिष्कार करने का आह्वान किया गया था।
साथ ही BDS Movement ने यूएई-इजरायल गठबंधन में भाग लेने वाले सभी अमीराती, अरब और अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों और संगठनों के बहिष्कार का आह्वान किया।
गाजा युद्ध और इजरायल के प्रति यूएई का समर्थन
इस बयान में कहा गया है: “जब से इजरायल ने गाजा पट्टी में जनसंहार शुरू किया है तभी से यूएई ने इजरायल की इस युद्ध मशीन का पूरा समर्थन किया है, और इस देश ने इजरायल के साथ हुए अपने सैन्य-सुरक्षा समझौते के प्रति अपना रुख बनाए रखा है।”
बयान में कहा गया है: “बात यहां तक पहुँच गई है कि इजरायल द्वारा जारी इस जनसंहार जिसमें अब तक 20000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं के उचित ठहराने के लिए इस हद तक आगे बढ़ गया है कि वह इजरायल के लिए एक ढाल के रूप में कार्य कर रहा है।
BDS Movement द्वारा जारी इस बयान में कहा गया है: “एक तरफ़ जहां अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, गैर-अरब देशों ने इजरायली राजदूतों को अपने देशों से निष्कासित कर दिया है और इजरायल के युद्ध अपराधों पर जवाबदेह ठहराया है वहीं दूसरी तरफ़ यूएई और इजरायल के साथ संबंध सामान्य बनाने का सपना देखने वाले देशों ने क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इजरायल के विरुद्ध होने वाले प्रयासों को कमज़ोर करने का कार्य किया है।
इन देशों द्वारा इजरायल का साथ देने के कारण नेतन्याहू सरकार द्वारा जारी जनसंहार और फिलिस्तीनी लोगों की हत्या में इज़ाफा हुआ है। हालांकि फिलिस्तीनी लोगों ने इजरायल की तरफ़ से हर प्रकार के अत्याचारों को सहने के बाद भी अपना प्रतिरोध जारी रखा है और उसके नापाक इरादों को कामयाब नहीं होने दिया है।
यूएई ने फिलिस्तीनी प्रतिरोध को बताया नाजायज़ः BDS Movement
BDS Movement जारी रखता हैः इजरायल के लिए यूएई का समर्थन यहीं पर समाप्त नहीं होता है बल्कि अरब के ऐतिहासिक रुख और फिलिस्तीनी लोगों के संघर्ष को मान्याता देने वाले अंतर्राष्ट्रीय कानूनों की परवाह न करते हुए उन्होंने न केवल फिलिस्तीनी लोगों द्वारा अपने देश और जान की रक्षा के लिए किए जाने वाले संघर्ष को नाजायज़ बताया बल्कि यूएई के अंदर फिलिस्तीन के समर्थन में उठने वाली हर आवाज़ का गला घोंट दिया। इससे भी आगे बढ़ते हुए पेट्रोडॉलर का प्रयोग करते हुए इस देश के शासकों ने सांस्कृतिक और मीडिया संगठनों की वफादारी खरीदने की कोशिश की जिन्होने इजरायल के साथ सामान्यीकरण समझौते का बचाव करने का अभियान चलाया।
क्षेत्रीय और रणनीतिक दोनों स्तरों पर, यूएई सरकार सामान्यीकरण समझौते से भी आगे बढ़ते हुए क्षेत्र में इजरायल के औपनिवेशिक और रंगभेदी शासन के प्रभाव को बढ़ाने और क्षेत्र के देशों के हितों को कमजोर करने के सभी उपनिवेशवादी उपाय अपनाए।
दुबई-इजरायल जमीनी कनेक्टिविटी मार्ग
हाल ही में हाइफ़ा और दुबई के बीच एक भूमि मार्ग समझौते पर हस्ताक्षर किया गया है जिसमे दुबई और हाइफ़ा को जोड़ने के लिए एक ज़मीनी मार्ग का सपना देखा गया है। इस समझौते के अनुसार एक ज़मीनी संपर्क मार्ग दुबई से शुरू होकर जार्डन और सऊदी अरब से होता हुआ इजरायल के हाइफ़ा बंदरगाह को जोड़ेगा। ताकि अगर यमन की तरफ़ से खतरे को देखते हुए यदि इजरायली जहाज़ समुद्र के रास्ते न पहुँच सके तो इजरायल की जरूरत का सामान इस जमीनी रास्ते से पहुँचाया जा सके।
यह समझौता मिस्र और क्षेत्र के आर्थिक और रणनीतिक केंद्र स्वेज नहर के लिए सीधा खतरा है, और मिस्र और अरब देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सीधा खतरा माना जाता है।
दर्जनों क्षेत्रीस समूहों, मानवाधिकार संगठनों के विरोध और आम जनता के प्रदर्शनों और तुरंत संघर्षविराम की मांग के कारण अगरचे यूएई अपनी तमाम कोशिशों के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय बैठकों को इजरायल के लक्ष्यों और हितों के लिए उपयोग करने में सफल नहीं रहा, लेकिन फिर भी दुबई में जलवायु शिखर सम्मेलन में यूएई और दूसरे अरब देशों के अधिकारियों ने इजरायली युद्ध अपराधियो के साथ फोटो खिचवाकर फिलिस्तीन के विरुद्ध नेतन्याहू के अपराधों को कमतर दिखाने और इस शासन के प्रति अपनी वफादारी दिखाने की कोशिश जरूर जारी रखी है।
जब अरब देशो ने फिलिस्तीनी हत्यारों के साथ खिंचाई फोटो!
इसके अलावा, जलवायु शिखर सम्मेलन से इतर सामान्यीकरण समझौते के ढांचे के भीतर, अबू धाबी राष्ट्रीय ऊर्जा (TAQA) के बिजली कनेक्शन के क्षेत्र में सहयोग के लिए इज़राइल और संयुक्त अरब अमीरात के बीच एक नए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते के अनुसार इस कंपनी की बिजली को पहले साइप्रस और ग्रीस कनेट्क किया जाएगा और फिर वहां से इजरायल पहुँचाया जाएगा।
यूएई-इजरायल आयात-निर्यात आंकड़े
ध्यान देने वाली बात है कि यूएई और इजरायल संबंध किस हद तक गहरे हैं कि अब्राहम समझौते के बाद गाजा नरसंहार शुरू होने से पहले यूएई इजरायल के सैन्य निर्यात का एक चौधाई का खरीदार था। BDS Movement के अनुसार यूएई ने लगभग 3 बिलियन डॉलर मूल्य के सैन्य संसाधन इजरायल से खरीदे और साथ ही इस देश के साथ संयुक्त सुरक्षा और सैन्य युद्धाभ्यास में भी भाग लिया। साथ ही गाजा के विरुद्ध जारी इजरायल के युद्ध में इस देश को अमेरिकी हथियारों की सप्लाई को सुचारू बनाए रखने के ले अपने देश में मौजूद अमेरिकी बेस को उपयोग करने की अनुमति दी।
लेकिन यह भी याद रखने वाली चीज़ है कि अरब शासकों के इस विश्वासघात के बावजूद कभी भी इजरायल के खिलाफ फिलिस्तीनियों के जारी निरंतर संघर्ष के प्रति अरब जनता के समर्थन में कमी नहीं आई है।
BDS Movement ने अपने बयान में कहा है कि अरब शासकों की गद्दारी हमें इजरायल के विरुद्ध लड़ाई जारी रखने, और स्वतंत्रता, न्याय, वापसी और आत्मनिर्णय के अधिकार को प्राप्त करने से नहीं रोक सकेगी।