सऊदी अरब में मानवाधिकार की स्थिति

सऊदी अरब में मानवाधिकार; जेल से रिहा होने के बाद करना पड़ता है इन समस्याओं का सामना

मानवाधिकार सूत्रों ने सऊदी अरब में मानवाधिकार की स्थिति पर नई रिपोर्ट प्रकाशित की है इसमें जेल में बंद सऊदी कैदियों की रिहाई के बाद उनके सामने पेश आने वाली समस्याओं और नए मानवाधिकार उल्लंघन का खुलासा किया है।

सऊदी अरब में मानवाधिकार पर प्रकाशित इस रिपोर्ट में मानवाधिकार संगठन ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि इस देश की जेल में बंद सऊदी कैदियों को रिहा होने के बाद भी कई प्रकार के प्रतिबंधों और समस्याओं का सामना करना पड़ाता है, जिसमें से सबसे प्रमुख जेल में दी जाने वाली प्रताणनाओं के बारे में बाहर बात करने पर रोक है। मानवाधिकार सूत्रों के अनुसार जेल से रिहा होने वाले सऊदी कैदियों को रिहा होने के बाद जेल में उनके साथ क्या हुआ या जेल अधिकारियों का उनके प्रति कैसा व्यवहार था के बारे में बात करने की मनाही है। इसी प्रकार उनपर रिहा होने के बाद भी कई प्रकार के आर्थिक और वित्तीय प्रतिबंध लगाए जाते हैं।

मानवाधिकार संगठन “सनद” ने सुरक्षा कारणों से नाम उजागर न करने के साथ जानकार सूत्रों के हवाले से लिखाः सऊदी अधिकारियों ने जेल से रिहा होन वाले सऊदी कैदियों को चेतावनी दी है कि वे जेल में उनके साथ क्या हुआ इसके बारे में किसी से बात न करे, अगर वह इस चेतावनी को नज़रअंदाज़ करते हैं तो उनको फिर से गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

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सऊदी अरब में मानवाधिकार की स्थिति, नहीं निकाल सकते पैसा

सऊदी अरब में मानवाधिकार की स्थिति पर आधारित इस रिपोर्ट में इस संगठन ने कहा: सऊदी सुरक्षा अधिकारियों ने जेल से रिहा किए गए सऊदी कैदियों के लिए यह भी कहा है कि उन्हें अपने बैंक खातों से प्रतिदिन 40,000 से अधिक सऊदी रियाल निकालने की अनुमति नहीं है, और इसका मतलब है कि उनके व्यापारिक और आर्थिक हित प्रभावित होंगे। यह आर्थिक प्रतिबंध और पैसा निकालने पर रोक उस समय और अहम हो जाती है जब हम देखते हैं कि जेल में बंद सऊदी कैदियों में से जो रिहा हुए हैं उनमें से कई व्यवसायी और आर्थिक गतिविधियों में शामिल व्यक्ति हैं।

इस संगठन के अनुसार, इन कार्रवाइयों को सऊदी सरकार द्वारा रिहा किए गए कैदियों के खिलाफ की गई अन्य कार्रवाइयों के सेट में जोड़ा गया है, जो नागरिक अधिकारों और मानवाधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है। सऊदी अधिकारियो ने इससे पहले भी जेल में बंद सऊदी कैदियों पर रिहा होने के बाद भी कई प्रकार के प्रतिबंध लगाए रखे हैं जैसे कि उनपर यात्रा करने और सोशल मीडिया का प्रयोग करना प्रतिबंधित है, वह मीडिया के सामने भी नहीं आ सकते हैं।

अपनी रिपोर्ट में, सऊदी नागरिकों के खिलाफ इस तरह की सज़ाओं को समाप्त करने का आह्वान करते हुए, दस्तावेज़ इस बात पर जोर देता है कि मनमाने ढंग से गिरफ्तारियों का मुद्दा अभी भी सऊदी अरब में मानवाधिकारों के उल्लंघन के सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक है, जो लोगों में भय और दहशत का कारण बनता है।

सऊदी अरब की जेल

जेल से रिहा होने के बाद भी जीवन भर चलती रहती हैं सज़ाएं

इस संगठन ने बताया कि सऊदी नागरिकों की चिंता केवल व्यक्तियों की स्वतंत्रता और गोपनीयता का उल्लंघन, मनमानी गिरफ्तारियां, यातनाएं, मानसिक प्रताड़णा, परिवार वालों को प्रताड़ित किया जाना जैसी सज़ाए नहीं ही नहीं हैं, बल्कि इन सज़ाओं का कभी न समाप्त होना है। सऊदी अधिकारियों की तरफ़ से दी जाने वाली यह सज़ाए कभी समाप्त नही होती हैं।

यह सज़ाएं कैदी के सऊदी अरब के जेल से आने के बाद भी समाप्त नहीं होती हैं, बल्कि उसके पूरे जीवन भर यह सज़ाए उसके, उसके परिवार और करीबी लोगों के लिए चलती रहती है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो सऊदी अरब में राजनीतिक बंदियो को जेल से रिहा करने के नाम पर एक छोटी जेल से बड़ी जेल स्थानांतरित कर दिया जाता है।

सऊदी अरब में मानवाधिकार उल्लंघनों के ख़िलाफ़ दस्तावेज़ यह सवाल उठाता है कि सऊदी कैदियों के ख़िलाफ़ ये मानवाधिकार उल्लंघन कब ख़त्म होंगे, क्या इन कार्रवाइयों का मतलब सऊदी राजनीतिक और मानवाधिकार कैदियों को समाज में कोई भी सामाजिक और आर्थिक भूमिका निभाने से धमकाना नहीं है?

जेल से रिहा होने के बाद सऊदी अरब में पेश आने वाली समस्याएं

यह मानवाधिकार संस्था सऊदी अरब में मानवाधिकार मामलों की एक लिस्ट जारी करती है जिसमें रिहा किए गए कैदियों की यात्रा पर प्रतिबंध, निरर्थक परीक्षणों की निरंतरता, पुनः गिरफ्तारी, जबरन निवास, साथ ही बोलने की स्वतंत्रता का उल्लंघन शामिल है और कहती है: ये सज़ाएँ निश्चित हैं और सऊदी नागरिक ऐसे कैदी बन गए हैं जो अपनी सज़ा पूरी करने के बाद जेल से रिहा हो जाते हैं, लेकिन उसके बाद भी उन सभी को, बिना किसी अपवाद के, कई साल के यात्रा प्रतिबंध जैसे प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के लिए, शेख अब्दुल रहमान अल सदहान को जेल से रिहा होने के बाद भी बीस साल के यात्रा प्रतिबंध का सामना करना पड़ा।

इसी प्रकार सऊदी मानव और सामाजिक अधिकार कार्यकर्ता “लाजिन अल-हथलौल” को फरवरी 2021 में जेल से रिहा कर दिया गया था, उन पर 5 साल के लिए यात्रा करने पर प्रतिबंध लगाया गया।

ऐसा तब है जब सऊदी नागरिकों को यात्रा करने से प्रतिबंधित करना मानवाधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है और नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय संधियों का उल्लंघन है। कई विश्लेषको का मानना है कि सऊदी सरकार अपने विरोधियों को चुप कराने के ले उनपर गैर कानूनी रूप से मुकदमे चलाती है और बहुत सो को तो कई साल तक बिना किसी मुकदमे के जेल में बंद रखा जाता है, और जब रिहा भी किया जाता है तो कई प्रकार के प्रतिबंधों के साथ।

सनद संगठन के अनुसार यात्रा पर प्रतिबंध, सऊदी सरकार द्वारा रिहा किए गए कैदियों के खिलाफ लगाए गए दंडों और प्रतिबंधों में से एक है, लेकिन अन्य दंड जैसे लिखने पर प्रतिबंध, बोलने की स्वतंत्रता, सोशल मीडिया के उपयोग पर प्रतिबंध, व्यावसायिक और आर्थिक गतिविधि पर प्रतिबंध, अन्य दंडों में से एक है जो इन कैदियों के खिलाफ लागू किया जाता है, और इसका स्पष्ट उदाहरण एस्सम ज़मिल और शेख अब्दुलअज़ीज़ अल-तारिफ़ी हैं।

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