अल-अक्सा तूफान ऑपरेशन के तीन बड़े झटके

अल-अक्सा तूफान ऑपरेशन के तीन बड़े झटके

अल-अक्सा तूफान ऑपरेशन में इजराइल में मची अफरा तफरी के बाद यह सवाल उठता है कि इस देश की मोसाद, शिन बेट और शाबाक जैसी खुफिया एंजेंसी इसका पता लगा पाने में कैसे विफल रहीं?

शनिवार, 7 अक्टूबर, पश्चिम एशियाई क्षेत्र में राजनीतिक और सुरक्षा समीकरणों के इतिहास में और विशेष रूप से फिलिस्तीनी प्रतिरोध आंदोलन और इजराइल के बीच संघर्ष के ढांचे में एक बड़ा दिन है। इस दिन की सुबह, हमास सहित फिलिस्तीनी समूहों ने इज़राइल के विभिन्न शहरों और कस्बों के खिलाफ “अल-अक्सा स्टॉर्म” नामक एक संयुक्त ऑपरेशन के रूप में व्यापक और समावेशी हमले किए।

इस ऑपरेशन के दौरान, हमास के साइबर, ड्रोन, मिसाइल और जमीनी बलों ने भाग लिया और पहली बार उन्होंने ऐसे दृश्य बनाए जो फिलिस्तीनी राष्ट्र के संघर्ष के इतिहास में अभूतपूर्व या दुर्लभ थे। उदाहरण के लिए, ऐसा इतिहास कभी नहीं हुआ कि फिलीस्तीनी समूहों ने इजराइल के साथ संघर्ष और युद्ध के पहले दिन ही इजराइली पक्ष के 300 से अधिक लोगों को मार डाला और लगभग 1000 को घायल कर दिया हो। या ऐसा कभी नहीं हुआ कि जब फिलिस्तीनियों ने उच्च पदस्थ सेना जनरल सहित 50 से अधिक इजराइलियों को मार डाला हो और बहुत से ख़ुफ़िया अधिकारियों को बंदी बना लिया हो।

साथ ही ऐसा भी कभी नहीं हुआ कि जब फिलिस्तीनी समूहों ने एक साथ मिलकर इजराइल के इतनी भीतर इतनी सटीकता के साथ कोई अभियान चलाया हो।

अभियान की सटीकता और दक्षता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि फिलिस्तीनी समूहों की पैदल सेना ने गाजा पट्टी के पड़ोस में स्थिति इजराइली शहरों और कस्बों में घुसपैठ के अभियान के दौरान आठ मीटर ऊंची और 700 किलोमीटर से अधिक लंबी सीमा दीवार को पार कर लिया है।

इजराइल की रक्षा और बुनियादी ढांचा प्रणालियों को भी व्यापक और महत्वपूर्ण साइबर हमलों का सामना करना पड़ा है। भयभीत और आतंकित रेगिस्तान में भागते इजराइली या फिर समूहों में बंदी बनाएं कैदियों या फिर पुलिस स्टेशनों और सैन्य प्रतिष्ठानों पर कब्ज़े की तस्वीरें वह सरप्राइज़ हैं जिन्हें शायद आगले कुछ सालें तक पचाया नहीं जा सकेगा। इन तस्वीरों ने उन लोगों के भी आश्चर्यचकित कर दिया जिन्होंने वर्षों तक इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष के क्षेत्र में काम और शोध किया है।

निःसंदेह अल-अक्सा तूफान ऑपरेशन, अपनी विस्तृत क्षेत्र कार्रवाई के साथ इजराइल और उसके संबंधित संस्थानों और संरचनाओं के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रीय परिणाम लाता है। यह परिणाम आने वाले दिनों में अपने ठोस लक्षण दिखाएंगे और नेतन्याहू के मंत्रिमंडल की वर्तमान कमज़ोर स्थिति को और भी कमज़ोर बना सकते हैं।
अल-अक्सा तूफान ऑपरेशन के तीन बड़े झटके

इस लेख में हम अल-अक्सा तूफान ऑपरेशन के तीन बड़े झटके जो आने वाले समय में सामने आने वाले हैं के बारे में बता रहे हैं।

फिलिस्तीनी प्रतिरोधी संगठनों का इजराइल पर हमला

1. इजराइल की ख़ुफ़िया और जासूसी संस्थाओं के लिए बढ़ता संकट

जब हम अल-अक्सा तूफान ऑपरेशन के व्यापक आयामों की जांच करते हैं, तो एक चीज़ जो सबसे पहले दिखाई देती है वह यह है कि इस तरह के ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए इस प्रकार का सटीक और व्यापक अभियान के लिए फिलिस्तीनी समूहों की विभिन्न सैन्य श्रेणियों का एक-दूसरे के साथ समन्वय महीनों के प्रशिक्षण और ख़ुफ़िया गतिविधियों का काम था। सीधे शब्दों में कहें तो यह हमला कोई एक दो दिन का प्लान नहीं था, इसपर महीनों या शायद सालों तक काम किया गया था।

अब सवाल यह उठता है कि मोसाद, शिन बेट और शबाक जैसे इजराइल के विभिन्न खुफिया और जासूसी संगठन कहां थे, जो इतने बड़े ऑपरेशन का सुराग लगाने में विफल रहे?

यह सवाल तब और महत्वपूर्ण हो जाता है जब हम यह देखते हैं कि इजराइल ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी खुफिया एजेंसियों, विशेषकर मोसाद के लिए एक विशेष पहचान और विश्वसनीयता बनाई है। मोसाद का हव्वा इतना है कि इस एजेंसी के खुफिया एजेंटों की विशेषज्ञता के बारे में फिल्में भी बनाई गई हैं जिसमें वह विभिन्न मिशनों को अंजाम देते और इजराइल के दुश्मनों को खत्म करते दिखाई देते हैं।

इसमें कोई संदेह नहीं है, अल-अक्सा तूफान ऑपरेशन के झटके बहुत जल्द ही इजराइल की खुफिया एजेंसियों में दिखाई देने लगेंगे। और कुछ ही समय में हमको इन इकाइयों में सस्पेंशन और नौकरे छोड़ने का एक तूफ़ान देंखेंगे। जिसके बाद पहले से संकट से जूझ रही इजराइली खुफिया एजेंसियों संकट के गर्त में जा सकती है। इस बीच, इज़रायली नागरिक भी इन संस्थाओं और नेतन्याहू की कैबिनेट के ख़िलाफ़ अपनी आलोचनाएँ तेज़ करेंगे और यह मुद्दा उनके ख़िलाफ़ संकट के आयामों के विस्तार को बढ़ावा देगा।

फिलिस्तीनी हमले में मारे गए इजराइली

2. नेतन्याहू की कैबिनेट गिरने की आशंका

अल-अक्सा तूफान ऑपरेशन की गहराई और तेल अवीव के लिए इसके महत्वपूर्ण आयाम सामने आने के साथ ही, इजराइली विपक्ष के प्रमुख व्यक्तियों में से एक, यायर लापिड और नफ्ताली बेनेट ने नेतन्याहू को वर्तमान संकट की स्थिति में मतभेदों को दूर करने का सुझाव दिया है और कहा है कि संकट से निपटने के लिए एक राष्ट्रीय कैबिनेट का गठन करें।

इस प्रस्ताव का मुख्य संदेश यह है कि नेतन्याहू के विरोधियों को भी यह एहसास हो गया है कि नेतन्याहू की कैबिनेट और जिस गठबंधन पर उनकी कैबिनेट आधारित है, उसके पतन की संभावना बहुत अधिक है। इस गंभीर स्थिति में, इजरायली राजनीतिक धाराएं अपने आप को एक ऐसी नाव में बैठा पा रही है कि उन्हें लगता है कि अगर वे एकजुट नहीं हुए तो इस घटना के घातक परिणाम उन पर पड़ सकते हैं।

अल-अक्सा तूफान ऑपरेशन के लिए इजराइल की जनता काफी हद तक नेतन्याहू और उनकी कैबिनेट के कट्टरपंथी विचारधारा को मुख्य कारण मानती है। और साथ ही न्यायिक सुधार बिल के कार्यान्वयन पर जोर देने के कारण इस कैबिनेट के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए यह कहा जाना चाहिए कि इस सरकार के पतन के सभी लक्षण सामने आ चुके हैं।

इसलिए इजराइल की वर्तमान असाधारण परिस्थिति को देखते हुए नेतन्याहू की सरकार का गिरना अल-अक्सा तूफान ऑपरेशन के तीन बड़े झटकों में से एक हो सकता है।

3. अल-अक्सा तूफान ऑपरेशन और अब्राहम समझौते के भविष्य पर लटकती तलवार

पिछले कुछ समय में बिडेन प्रशासन की मध्यस्थता के साथ, इजराइल और सऊदी अरब के बीच संबंधों को सामान्य बनाने के लिए पश्चिमी राजनीतिक हस्तियों और मीडिया प्रतिष्ठानों ने बहुत प्रयास किए हैं।

अब्राहम समझौतों पर हस्ताक्षर की तीसरी वर्षगांठ के कारण उनके यह प्रयास काफ़ी गंभीर हद तक भी पहुँच चुके थे। कुछ पर्यवेक्षक तो यहां तक कह रहे थे कि बहुत जल्द ही इजराइल और सऊदी अरब के बीच संबंधों को सामान्य बनाने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर हो जाएंगे।

अल-अक्सा तूफान ऑपरेशन की घटना उन देशों के लिए एक बड़ा संदेश है जो इजराइल के साथ संबंधों को सामान्य बनाना चाहते हैं। मुख्य संदेश यह है कि मूल रूप से इजराइल स्वयं गहरी सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है और यह सोचना कि इजराइल के साथ संबंधों का सामान्यीकरण उनको सुरक्षा और रणनीतिक लाभ पैदा कर सकता है, बिल्कुल भी तार्किक और तर्कसंगत प्रस्ताव नहीं है।

इसलिए, अल-अक्सा तूफान ऑपरेशन ने अरब और इस्लामी देशों में खुशी की लहर पैदा करने के अलावा, उन अरब सरकारों को भी सार्थक संदेश भेजा जो खुद को इज़राइल के साथ संबंधों को सामान्य करने के कगार पर देख रहे थे। निस्संदेह, वर्तमान स्थिति में इज़राइल की खराब छवि कुछ अरब सरकारों द्वारा तेल अवीव के साथ संबंधों को सामान्य बनाने के लक्ष्य की प्रगति में बहुत बाधा उत्पन्न करेगी।

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